Delhi: दिल्ली में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में अब राजनीती में हलचल तेज हो गयी है। सभी पार्टियों ने अपनी रणनीति बनाना शुरू कर दिया है। लेकिन दिल्ली में चुनाव सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के लिए रहे हैं। बीजेपी पूरे देशभर में अपनी विजयी पताका लहराती है लेकिन इस शहर में साल 1998 के बाद बीजेपी जीत ही नहीं पायी है।
Delhi, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती
Delhi, बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती, देश की राजधानी हैं, लेकिन बीजेपी के लिए शहर एक अनसुलझी पहेली है। साल 1998 से अब तक, बीजेपी ने यहां कमल खिलाने की हर कोशिश की, लेकिन हर बार हार का सामना करना पड़ा। 2014 की मोदी लहर में जब बीजेपी ने देशभर में विजय पताका लहराई, तब भी दिल्ली उसके लिए अजेय किला बना रहा।
बीजेपी के रणनीति Delhi चुनावों में नहीं आयी काम
साल 2013, 2015 और 2020 में पार्टी को हार का स्वाद चखना पड़ा। कभी सुषमा स्वराज, मदन लाल खुराना, तो कभी डॉक्टर हर्षवर्धन और किरण बेदी को सीएम फेस बनाया गया। लेकिन परिणाम वही—दिल्ली की सत्ता आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के हाथों में ही रही। 2020 के चुनाव में बिना सीएम फेस के उतरी बीजेपी, लेकिन केजरीवाल के सॉफ्ट हिंदुत्व ने मोदी लहर और ध्रुवीकरण की रणनीति को धराशायी कर दिया। हनुमान चालीसा और सादगी भरे मुद्दों ने केजरीवाल को जीत दिलाई।
इन चुनावों में बिना फेस के उतरेगी बीजेपी
और अब 2024 में एक बार फिर बीजेपी बिना सीएम चेहरे के चुनावी रण में उतर रही है। इस बार पार्टी का मानना है कि भ्रष्टाचार के आरोपों ने केजरीवाल की छवि को कमजोर किया है। ऐसे में प्रवेश वर्मा, मीनाक्षी लेखी, और अरविंदर सिंह लवली जैसे नाम पार्टी के लिए गेम changer साबित हो सकते हैं। अब देखना ये होगा कि क्या बीजेपी इस बार दिल्ली का किला फतह कर पाएगी? या फिर ये चुनौती एक बार फिर अजेय साबित होगी?
दिल्ली की सत्ता का ये खेल बेहद रोमांचक होने वाला है। देखते रहिए, और सोचते भी रहिये की इस बार इन चुनावों में कौन बाजी मारेगा।