बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर मतदाता सूची का विशेष सत्यापन अभियान जोरों पर है। अब तक राज्य के 7.90 करोड़ में से 6.60 करोड़ मतदाताओं के फॉर्म जमा हो चुके हैं, जो कुल वैरिफिकेशन का लगभग 88% हिस्सा है।
चुनाव आयोग ने बताया कि 5.74 करोड़ फॉर्म वेबसाइट पर अपलोड किए जा चुके हैं। 1 लाख से अधिक बीएलओ तीसरे चरण में घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे हैं, जबकि 963 एईआरओ इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं।
हर बूथ पर 1.5 लाख एजेंट जुटे, वार्डों में विशेष कैंप का आयोजन
चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी राजनीतिक दलों के करीब 1.5 लाख बूथ स्तरीय एजेंट प्रतिदिन 50-50 पहचान पत्रों की जाँच कर रहे हैं। राज्य के 261 शहरी निकायों के 5,683 वार्डों में विशेष शिविर लगाए गए हैं ताकि कोई भी पात्र मतदाता सूची से वंचित न हो।
इन शिविरों के माध्यम से मतदाताओं को अंतिम सूची में शामिल करने का भरपूर प्रयास हो रहा है। आयोग ने मतदाता सूची की शुद्धता के लिए गंभीरता से काम शुरू किया है।
मृतक, डुप्लिकेट और प्रवासी वोटरों के नाम हटाए गए
वर्तमान सत्यापन के दौरान 35.50 लाख से अधिक नामों को मतदाता सूची से हटाया गया है। इनमें 1.59% मृतक मतदाता, 2.2% स्थायी प्रवासी और 0.73% डुप्लिकेट नाम शामिल हैं।
इन तीनों श्रेणियों का योग 4.52% होता है, जो संख्यात्मक रूप से 35.69 लाख से अधिक लोगों को दर्शाता है। आयोग को नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ विदेशी नागरिक भी वोटर के रूप में दर्ज मिले, जिनके नाम हटाए जा रहे हैं।
बाहर रहने वाले वोटर मोबाइल या ऑनलाइन से भर सकते हैं फॉर्म
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अस्थायी रूप से राज्य से बाहर रहने वाले मतदाता ECINet ऐप या https://voters.eci.gov.in पोर्टल के जरिए फॉर्म भर सकते हैं।
यदि परिवार का कोई सदस्य राज्य में है, तो वह फॉर्म लेकर व्हाट्सएप या अन्य माध्यम से BLO को भेज सकता है। फॉर्म में कोई गलती या अपडेट की जरूरत हो, तो उसे भी ऑनलाइन संशोधित किया जा सकता है।
विपक्षी दलों की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, SC ने रोक से किया इनकार
इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने विरोध जताया है। महुआ मोइत्रा, योगेंद्र यादव, मनोज झा और एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उनका आरोप है कि आयोग ने नागरिकों पर ही पहचान का बोझ डाल दिया है, जिससे लाखों गरीब या प्रवासी वोटिंग से वंचित हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस पर फिलहाल रोक लगाने से मना कर दिया है, लेकिन सुझाव दिया कि आयोग आधार, ईपीआईसी और राशन कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में शामिल करे। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी है।
सीमांचल में जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड, घुसपैठ का संकेत
बिहार के सीमांचल जिलों, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया में आधार कार्डों की संख्या जनसंख्या से कहीं अधिक पाई गई। यहाँ प्रति 100 व्यक्तियों पर 120-126 आधार कार्ड दर्ज हुए हैं।
यह विसंगति आधार कार्ड की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पहचान पत्र के रूप में आधार को शामिल न करने का निर्णय उचित है।
निवास प्रमाण पत्र में तेजी, घुसपैठ की आशंका गहराई
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि जनवरी से मई 2025 के बीच किशनगंज में हर महीने औसतन 26-28 हजार निवास प्रमाण पत्रों के आवेदन मिलते थे, लेकिन जैसे ही वोटर सत्यापन शुरू हुआ, यह संख्या अचानक बढ़ गई।
उन्होंने बताया कि जुलाई के पहले छह दिनों में ही किशनगंज में 1.28 लाख से अधिक आवेदन मिले हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि यहाँ बड़ी संख्या में घुसपैठिए मौजूद हैं। यह राज्य के लिए गंभीर सुरक्षा और लोकतांत्रिक चुनौती का संकेत है।