बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का ऐलान भारतीय चुनाव आयोग ने कर दिया है। राज्य में दो चरणों में मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। जैसे ही चुनाव की घोषणा हुई, वैसे ही पूरे बिहार में चुनाव आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई।
यह संहिता अब से लेकर चुनाव की पूरी प्रक्रिया पूरी होने तक, यानी लगभग 40 दिनों तक प्रभावी रहेगी। इसका उद्देश्य है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो।
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आचार संहिता क्या है?
आचार संहिता एक ऐसी नियमावली है, जिसे चुनाव आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए बनाया है। यह सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और यहां तक कि आम नागरिकों पर भी लागू होती है।
इसका मकसद है कि सत्ता में बैठी पार्टी या कोई भी उम्मीदवार चुनाव के दौरान सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग न करे या मतदाताओं को किसी भी तरह से प्रभावित न करे।
आचार संहिता के मुख्य नियम
चुनाव आचार संहिता में कई ऐसे नियम हैं जिनका पालन अनिवार्य है। इनका उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
- नए प्रोजेक्ट या शिलान्यास पर रोक: सरकार किसी भी नए प्रोजेक्ट का ऐलान, उद्घाटन या शिलान्यास नहीं कर सकती।
- सरकारी प्रचार सामग्री हटेगी: सरकारी इमारतों या सड़कों पर लगी सरकार की उपलब्धियों वाले बैनर, पोस्टर और होर्डिंग्स हटाए जाएंगे।
- सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल वर्जित: कोई भी मंत्री या सत्ताधारी नेता सरकारी वाहनों, भवनों या धन का चुनावी प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता।
- लोकलुभावन घोषणाओं पर रोक: सरकार किसी भी प्रकार की नई योजनाओं या रियायतों की घोषणा नहीं कर सकती, जिससे मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके।
- सोशल मीडिया पर सतर्कता: किसी भी तरह की भड़काऊ या भ्रामक पोस्ट डालना, शेयर करना या प्रसारित करना दंडनीय अपराध है।
आम नागरिकों के लिए भी नियम
आचार संहिता सिर्फ राजनीतिक दलों तक सीमित नहीं है। आम नागरिकों को भी इन नियमों का पालन करना होता है।
अगर कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक दल के प्रचार में शामिल है, तो उसे भी इन नियमों का ध्यान रखना होगा।
उदाहरण के लिए —
- बिना अनुमति किसी की दीवार पर चुनावी पोस्टर लगाना
- मतदाताओं को रिश्वत या शराब बांटना
- सोशल मीडिया पर किसी समुदाय या व्यक्ति के खिलाफ भड़काऊ बातें लिखना
इन सब पर तुरंत कार्रवाई की जा सकती है।
रैली, जुलूस और सभा के लिए अनुमति अनिवार्य
किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को रैली, जुलूस या जनसभा करने से पहले चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है।
साथ ही, इस कार्यक्रम की जानकारी नजदीकी पुलिस थाने में देनी जरूरी होती है।
सभा के स्थान और समय की पूर्व सूचना देना अनिवार्य है ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे।
चुनाव प्रचार में क्या नहीं करना चाहिए
- किसी जाति, धर्म या भाषा के आधार पर मतदाताओं को भड़काना या विभाजन फैलाना सख्त मना है।
- मतदान के एक दिन पहले किसी भी प्रकार की चुनावी बैठक पर रोक होती है।
- मतदान केंद्र से 100 मीटर के दायरे में कोई प्रचार नहीं किया जा सकता।
- चुनाव के दौरान कोई सरकारी भर्ती या नई योजना की घोषणा नहीं की जा सकती।
- मतदाताओं को शराब, पैसे या तोहफे बांटना पूरी तरह निषिद्ध है।
नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई
अगर कोई उम्मीदवार या पार्टी आचार संहिता का उल्लंघन करती है, तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है।
गंभीर मामलों में चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध या जेल तक की सजा भी हो सकती है।
चुनाव आयोग हर जिले में पर्यवेक्षक नियुक्त करता है, जो सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी उम्मीदवार नियमों का उल्लंघन न करे।
आचार संहिता का उद्देश्य सिर्फ प्रतिबंध लगाना नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत बनाना है।
यह सुनिश्चित करती है कि हर पार्टी और हर उम्मीदवार को बराबरी का मौका मिले और मतदाता बिना किसी दबाव के अपना वोट डाल सके।

