बिहार चुनाव 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के ताज़ा रुझानों ने यह साफ कर दिया है कि राज्य की जनता ने इस बार भी एनडीए पर भरोसा जताया है।
मतगणना की शुरुआत से ही बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी ने बढ़त बनानी शुरू कर दी, जो धीरे-धीरे स्पष्ट बहुमत में बदलती दिख रही है।
इस चुनाव में एनडीए की संयुक्त रणनीति और मजबूत गठबंधन संरचना बड़े स्तर पर असर डालती नजर आई।
बिहार चुनाव 2025: पिछले चुनाव की तुलना में बदली राजनीतिक हवा
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 74 सीटें जीती थीं, जबकि जेडीयू 122 सीटों में से 73 सीटों पर सफल रही थी।
एलजेपी (आर) ने तब सिर्फ एक सीट जीती थी, लेकिन इस बार नतीजों ने पार्टी की किस्मत पलट दी है।
चिराग पासवान की पार्टी 22 सीटों पर मजबूत बढ़त के साथ उभरती हुई शक्ति साबित हो रही है, जिसने पूरे चुनावी समीकरण को हिला दिया है।
सीट शेयरिंग और रणनीति बनी एनडीए की ताकत
इस बार बीजेपी और जेडीयू ने बराबरी से 101–101 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया, जबकि सहयोगी दल एचएएम और आरएलएम को छह–छह सीटें दी गईं।
यह संतुलित रणनीति एनडीए के लिए गेमचेंजर साबित हुई।
रुझानों के मुताबिक बीजेपी 85 सीटों पर, जेडीयू 75 पर, एलजेपी (आर) 22 पर, एचएएम 4 पर और आरएलएम 2 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। यह आंकड़े आराम से बहुमत की ओर इशारा करते हैं।
महागठबंधन का प्रयास जारी लेकिन बढ़त कमजोर
महागठबंधन ने भी इस चुनाव में पूरी गंभीरता से ताल ठोकी थी। आरजेडी ने 143 सीटों पर मैदान में उतरते हुए बड़ी लड़ाई का संकेत दिया था।
कांग्रेस ने 60, सीपीआई माले ने 20, वीआईपी ने 11, सीपीआई ने 6 और सीपीएम ने 4 सीटों पर चुनाव लड़ा।
हालांकि रुझानों में आरजेडी 36 सीटों पर, कांग्रेस 6 पर, लेफ्ट 8 पर और वीआईपी 1 सीट पर आगे है, लेकिन एनडीए की तुलना में यह बढ़त काफी कमजोर दिखती है।
जनता ने दिया स्थिरता और विकास के पक्ष में फैसला
इन रुझानों से एक बात बिल्कुल साफ होती है कि बिहार के मतदाता विकास और स्थिरता के मुद्दे पर एकजुट होकर वोट कर रहे हैं।
एनडीए की वापसी की राह अब पूरी तरह साफ नजर आ रही है।
जनता ने एक बार फिर नेतृत्व के भरोसे पर मुहर लगाई है और इस चुनाव ने बिना किसी बड़े उलटफेर के, राज्य में एक स्थिर सरकार बनने का संकेत दे दिया है।
गिनती अभी जारी है, लेकिन रुझानों ने बिहार की राजनीतिक दिशा को लगभग तय कर दिया है। एनडीए की यह बढ़त आने वाले वर्षों में राज्य की राजनीति पर गहरा असर छोड़ने वाली है।

