बिहार के भागलपुर में 24 अगस्त 2025 को मतदाता संशोधन प्रक्रिया के दौरान खुलासा हुआ। जाँच में पाकिस्तान मूल की दो महिलाएँ, इमराना खानम और फिरदौसिया खानम, पहचानी गईं, जो 1956 से बिना वैध वीज़ा रह रही थीं। दोनों के पास आधार और वोटर ID कार्ड थे।
1956 में आए, वीज़ा समाप्त, फिर भी रुकीं
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार इमराना खानम 1956 में तीन वर्ष के वीज़ा पर भारत आईं, जबकि फिरदौसिया खानम तीन माह के वीज़ा पर दाखिल हुईं।
दोनों ने वीज़ा नवीनीकरण नहीं कराया और दशकों तक भागलपुर में चुपचाप रहीं, परिवार और पहचान दस्तावेज़ भी बनवा लिए।
ड्राफ्ट सूची में नाम और SIR की भूमिका
यह मामला SIR के दौरान मतदाता सूची की नागरिकता-जाँच में सामने आया। दोनों के नाम ड्राफ्ट सूची में मिले।
जिसके बाद गृह मंत्रालय ने इन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया। अधिकारियों ने कहा कि नागरिकता प्रमाणन SIR का प्रमुख चरण है।
गृह मंत्रालय का निर्देश: 11 अगस्त 2025
गृह मंत्रालय ने 11 अगस्त 2025 को भागलपुर प्रशासन को निर्देश भेजे, जिनमें दोनों पाकिस्तानी महिलाओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया आरंभ करने को कहा गया।
इसी क्रम में बूथ-स्तरीय जाँच, रिकॉर्ड सत्यापन और आवश्यक नोटिस जारी करने की कार्यवाही शुरू हुई।
BLO का बयान और स्वास्थ्य स्थिति
बूथ लेवल अधिकारी फरजाना खानम ने बताया कि उन्हें पत्र मिला है, जिसमें इमराना खानम का पाकिस्तानी पासपोर्ट नंबर दर्ज है।
उनके अनुसार दोनों काफी उम्रदराज़ हैं और बीमार रहती हैं। निर्देशानुसार नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू है; इमराना का पासपोर्ट 1956 का है।
जिलाधिकारी की पुष्टि और वैधानिक कार्रवाई
जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने पुष्टि की कि जिले में कुल 24 लाख मतदाता हैं और BLO ने हर बूथ पर सत्यापन किया।
उनके अनुसार, ऐसा मामला पहली बार सामने आया है तथा विधि के अनुरूप आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
विपक्ष का विरोध बनाम प्रक्रिया की उपयोगिता
घटना ने SIR की उपयोगिता पर ठोस संदेश दिया है। जिस प्रक्रिया को विपक्ष, विशेषकर कॉन्ग्रेस और सहयोगी दल, पक्षपातपूर्ण बताकर विरोध कर रहे थे।
उसी ने अवैध प्रवास की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रचलित प्रचार-आरोप इस खुलासे से व्यवहारतः निरस्त होते दिखे।
आगे की जाँच और संभावित कदम
प्रशासनिक पक्ष ने संकेत दिया कि मतदाता सूची से नाम हटाने की वैधानिक प्रक्रिया के समानांतर विभागीय जाँच आगे बढ़ेगी।
निवास, दस्तावेज़ और नागरिकता से संबंधित रिकॉर्ड की परत-दर-परत जाँच प्रस्तावित है, ताकि दीर्घकालीन उल्लंघन की परिस्थितियों और जिम्मेदारियों का निर्धारण हो सके।
पृष्ठभूमि: किशनगंज के आँकड़े
पृष्ठभूमि में, 3 अगस्त 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 70% मुस्लिम आबादी वाले किशनगंज में SIR में 1.45 लाख नाम सूची से हटाए गए, जो मतदाताओं का 11.8% थे। प्रक्रिया शुरू होते ही डोमिसाइल आवेदन पाँच गुना बढ़े; आधार कवरेज 126% बताया गया।
न्यायालय की स्थिति: 10 जुलाई का आदेश
10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में SIR पर रोक से इनकार किया और चुनाव आयोग से आधार, राशन कार्ड तथा वोटर ID को पहचान के प्रमाण रूप में विचार करने को कहा। यह स्पष्टता प्रक्रिया की वैधता को न्यायिक आधार देती है।
13 अगस्त 2025 को, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने दस्तावेज़ दिखाकर आरोप लगाया कि इटली की नागरिक रहते हुए सोनिया गाँधी दो बार भारत की वोटर बनीं। इस दावे ने अयोग्य नामों की रक्षा को लेकर कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल और बहस बढ़ाई।
शुद्ध मतदाता सूची की दिशा
भागलपुर का मामला दर्शाता है कि SIR जैसी सूक्ष्म जाँच-प्रक्रिया दीर्घकालीन अवैध प्रवास जैसे संवेदनशील मुद्दों की पहचान भी करती है।
प्रशासनिक कदम, न्यायिक स्पष्टता और त्वरित कार्रवाई मिलकर सुधार के ठोस परिणाम ला सकते हैं।