बांके बिहारी मंदिर की टूटी परंपरा: वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में ऐसा पहली बार हुआ है जब ठाकुर जी को बाल और शयन भोग नहीं लगा।
कई सालों से चली आ रही भोग लगाने की परंपरा इस घटना के साथ टूट गई है, जिससे मंदिर के पुजारियों में भारी नाराजगी देखी गई।
बांके बिहारी मंदिर की टूटी परंपरा: हलवाई ने नहीं बनाया भोग
भोग न लग पाने की वजह सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर में गठित हाई पावर कमेटी को बताया जा रहा है।
इस कमेटी के बाद ठाकुर जी के भोग के लिए एक हलवाई नियुक्त किया गया, जिसकी सैलरी करीब 80 हजार रुपये बताई जाती है।
बताया गया है कि पिछले कुछ महीनों से हलवाई को भुगतान नहीं हुआ था, इसी कारण उसने भोग तैयार नहीं किया।
बांके बिहारी मंदिर के गोस्वामी का कहना है कि ठाकुर जी के भोग बनवाने की जिम्मेदारी मयंक गुप्ता नाम के व्यक्ति के पास है।
उन्हीं की देखरेख में हलवाई के जरिए सुबह बाल भोग, दोपहर में राजभोग, शाम को उत्थापन भोग और रात में शयन भोग तैयार कराया जाता है।
भूखे पेट बिहारी जी ने दिए दर्शन
इस मामले को लेकर यह सवाल भी उठ रहा है कि जब मदरसों से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट कोई कमेटी गठित नहीं करता और न ही उनके धन पर दखल देता है, तो मंदिरों के मामलों में कमेटी बनाने की जरूरत क्यों पड़ी।
भोग न लगने के बाद हाई पावर कमेटी अब अपनी जिम्मेदारी से बचती नजर आ रही है।
बता दें कि बांके बिहारी मंदिर में रोजाना देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। वहीं बिहारी जी को बाल भोग और शयन भोग अर्पित नहीं हो सके। इसलिए उन्होंने भक्तों को भूखे पेट दर्शन दिए।
सरकार कमेटी बनाकर अपना अधिकार जमाने की कोशिश करती है
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि सरकार शांति प्रिय समुदाय के दरगाहों और मस्जिदों पर अधिकार जमाने के लिए कोई कमेटी नहीं बना पाती,
लेकिन जब बात मंदिर की आती है तो सरकार कमेटी बनाकर अपना अधिकार जमाने की कोशिश करती है।
ऐसे में किसी को नहीं पड़ी है कि बिहारी जी भूखे है और उन्हें भोग नहीं लगाया गया। यहां तो लोगों को सिर्फ अपने खाने की पड़ी है।

