Bangladesh: बांग्लादेश में आए दिन हिंदुओं पर अत्याचार और हमलों की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे वहां के अल्पसंख्यक समुदाय में डर और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2021 से अब तक बांग्लादेश में हिंदुओं पर 3,582 हमलों की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के रंगपुर और चटगांव जैसे क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों पर हिंसा का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। इन हमलों में न केवल जान-माल का नुकसान हुआ है, बल्कि धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचाया गया है।
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Bangladesh: अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा के 334 प्रमुख मामलों
सिंह ने यह भी बताया कि भारत अपने पड़ोसी देशों में रहने वाले हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर लगातार सक्रिय है। इसी के तहत, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा के 334 प्रमुख मामलों को भारत ने आधिकारिक तौर पर वहां की सरकार के सामने उठाया है।
उन्होंने कहा कि यह भारत की विदेश नीति का हिस्सा है कि किसी भी देश में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों और हिंदू समुदाय के हितों और सुरक्षा के लिए आवाज उठाई जाए।
मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं
शिवसेना के सांसद अनिल देसाई द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों में भी हिंदुओं पर हमले और मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं हो रही हैं।
पिछले वर्ष अमेरिका में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ के 5 और कनाडा में 4 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, ब्रिटेन में भी इस तरह की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें मंदिरों को नुकसान पहुंचाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के प्रयास किए गए हैं।
बांग्लादेश के लालमोनिरहाट एयरबेस से जुड़ी रिपोर्टों
बांग्लादेश के लालमोनिरहाट एयरबेस से जुड़ी रिपोर्टों पर भी मंत्री ने प्रतिक्रिया दी। खबरों के अनुसार, यह सवाल उठाया गया था कि क्या बांग्लादेश ने चीन को इस एयरबेस से सैन्य गतिविधियां शुरू करने की अनुमति दी है।
इस पर मंत्री सिंह ने कहा कि भारत इस मामले पर बेहद सतर्क है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हर पहलू पर गहरी नजर रखी जा रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की प्राथमिकता न केवल सीमाओं की सुरक्षा है, बल्कि पड़ोसी देशों में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता और उनके मानवाधिकारों की रक्षा भी है।
इस तरह की घटनाओं पर नजर रखने के लिए सरकार विभिन्न राजनयिक और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है।
पड़ोसी देशों में धार्मिक हिंसा
विदेश राज्य मंत्री की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं और चीन का प्रभाव कई देशों में बढ़ रहा है।
भारत के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह पड़ोसी देशों में होने वाले किसी भी सैन्य या राजनीतिक बदलाव पर नजर रखे, खासकर तब जब वह उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा या अल्पसंख्यकों की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
सरकार ने साफ किया है कि चाहे बात पड़ोसी देशों में धार्मिक हिंसा की हो या किसी भी तरह की सुरक्षा चुनौती की, भारत हर स्तर पर सक्रिय और सजग रहेगा।