Sheikh Hasina: बांग्लादेश ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सौंपने की मांग करने के साथ ही एक लेटर लिखा है। जिसमे अंतरिम सरकार के दो मंत्रियों ने कहा कि वो चाहते है कि शेख हसीना को न्यायिक प्रक्रिया के लिए बांग्लादेश भेज दें। गृह मंत्रालय के सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा कि ढाका और नई दिल्ली में कैदियों के प्रत्यर्पण की पहले से ही मौजूद संधि के तहत हसीना को भारत से वापस बांग्लादेश लाया जा सकता है।
Sheikh Hasina ने 5 अगस्त को छोड़ा बांग्लादेश
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 को प्रत्यर्पण संधि हुई थी, जिसमें भगोड़े आरोपियों और बंदियों को एक-दूसरे को सौंपने का करार हुआ था। जिसके तहत बांग्लादेश शेख हसीना की मांग कर रहा है। गौरतलब है कि बीते 5 अगस्त को शेख हसीन को जान बचाकर बांग्लादेश से भागना पड़ा था और भारत ने उन्हें शऱण दी थी। यूनुस सरकार जिस संधि की बात कर रहा है। उसमे राजनीतिक प्रत्यर्पण का ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं। ऐसे में भारत इसे सीधे तौर पर नाकाऱ सकता है। हसीना की मांग कर के वहां के और मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाना है।
खालिदा ने सड़कों पर उतरने को कहा
वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश पूर्व पीएम खालिदा जिया की पार्टी के महासचिव आलमगीर ने लोगों से एक बार फिर से सड़कों पर उतरने की अपील की है और कहा कि वे चुनाव व मतदान के अधिकार की मांग के साथ एक बार फिर से सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हो जाएं। उन्होंने कहा कि हमने 15 सालों से बहुत खून बहाया। अब हम शांतिपूर्ण चुनाव चाहते हैं।
पिछले दिनों भी हुई झड़प
बता दें कि बीते दिनों बांग्लादेश में इज्तिमा आयोजित कराने को लेकर भारत से बांग्लादेश गए मो. साद कंधलवी और उनके विरोधी मौलाना जुबैर के समर्थकों में झड़प हो गई और इस दौरान 4 लोगों की मौत हो गई। जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इसको लेकर लोगों का कहना था कि मौलाना साद एक भारतीय मुस्लिम विद्वान और प्रचारक है। साद के समर्थक 5 दिवसीय इज्तिमा आयोजित करना चाहते थे और जुबैर के समर्थक इसके खिलाफ थे। इसके पहले भी बांग्लादेश ने भारत से व्यापारिक रिश्ते खत्म कर दिये और वीजा सेंटर को भी दिल्ली से हटाने को कहा है।