Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। वहां हिन्दुओं के साथ बेहद अत्याचार किया जा रहा। उनके घर, मंदिरों में आग लगायी जा रही है। हिन्दू महिलाओं के साथ रेप किया जा रहा है। उनके साड़ी संपत्ति लूटी जा रही है। उन्हें ढूंढ-ढूढ़ कर मारा जा रहा है। ये हालात तब बिगड़े जब शेख हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
उनके इस्तीफ़ा के बाद किसी को तो बांग्लादेश की कमान संभाली ही थी। बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने देश की कमान मो. यूनुस को सौंप दी है। आइये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
बांग्लादेश में हुए दंगे कभी आरक्षण को लेकर थी ही नहीं
बांग्लादेश में हुए दंगे कभी आरक्षण को लेकर थे ही नहीं। इन दंगों के पीछे का असली मकसद को बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं को ख़तम करना था। शेख हसीना के इस्तीफे के बाद प्रदर्शनकारियों ने अपनी हिंसा का नंगा नाच शुरू कर दिया है ,पूरा बांग्लादेश आज हिंसा की आग में झुलस रहा है। अब तक वहां 300 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी है। ये तो सिर्फ रिपोर्ट्स में आये आंकड़े हैं हो सकता है असल इस आंकड़े से भी कई ज्यादा हो। ऐसे में बांग्लादेश को एक ऐसे प्रमुख चाहिए था जो बांग्लादेश में झुलस रही हिंसा को शांत करा सके लेकिन हुआ इसके बिल्कुल विपरीत है। वो एक ऐसा लीडर है जो हिंसा को और बढ़ावा देगा और बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं का जीना हराम कर देगा।
कौन है मो. यूनुस जिन्होनें संभाली बांग्लादेश की कमान
कहने को कहने को तो मो.यूनुस बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक हैं जिन्हें अर्थशास्त्र में नोबेल prize भी मिला हुआ है लेकिन इनकी विचारधारा बिल्कुल कट्टरपंथियों वाली है। इनका और शेख हसीना का 36 का आंकड़ा है। ये हसीना को बांग्लादेश के लोकतंत्र का कातिल मानते हैं इतना ही नहीं उसमें ये भारत को भी सहायक मानते हैं। उन्हें भारत और बांग्लादेश के अच्छे रिश्तों से काफी दिक्कत है। इनकी सदा से ही भारत विरोधी विचार धारा रही है। वो कहते हैं कि शेख हसीना भारत की सह पाकर ही चुनावों के बजाय तानाशाही के जरिए बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज रही।
मो. यूनुस की कट्टरपंथी विचारधारा हो सकती है घातक
जिस लीडर का मकसद हिना को कम करने की बजाय उसे बढ़ाना हो आप ही सोचिये ऐसा लीडर देश को किस मोड पर लाकर खड़ा कर देगा। मो. यूनुस का भारत विरोधी नजरिया और कट्टरपंथी सोची बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं की क्या दशा करेगी। बांग्लादेश अब कट्टरपंथी विरोधी देशों की रह पर चल पड़ा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस देश की बर्बादी तय है।
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