एपीजे अब्दुल कलाम: 15 अक्टूबर को पूरी दुनिया भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को याद करती है। यह दिन ‘वर्ल्ड स्टूडेंट्स डे’ के रूप में मनाया जाता है,
क्योंकि कलाम साहब ने अपना पूरा जीवन बच्चों और युवाओं को सपने देखने और उन्हें पूरा करने की प्रेरणा देने में बिताया।
उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के छोटे से गांव रामेश्वरम में हुआ था। गरीबी के बावजूद उन्होंने मेहनत और लगन से पढ़ाई की और भारत को वैज्ञानिक क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
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एपीजे अब्दुल कलाम: इंसान का सबसे बड़ा गहना उसकी सच्चाई और ईमानदारी
डॉ. कलाम का व्यक्तित्व बेहद सादा लेकिन प्रेरणादायक था। वे मानते थे कि इंसान का सबसे बड़ा गहना उसकी सच्चाई और ईमानदारी है।
उन्होंने कभी दिखावा नहीं किया और हमेशा सरल जीवन जिया। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वे सामान्य जीवनशैली अपनाए रहे।
उनकी सोच थी कि अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से मेहनत करे तो दुनिया की कोई भी चीज़ असंभव नहीं।
उनका एक प्रसिद्ध कथन है “अगर सूरज की तरह चमकना है, तो पहले सूरज की तरह जलना होगा।” यह पंक्ति आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत
कलाम न सिर्फ़ एक महान वैज्ञानिक थे बल्कि गहराई से आध्यात्मिक व्यक्ति भी थे। उन्होंने कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन किया था।
वे मानते थे कि हर धर्म इंसान को अच्छाई और इंसानियत का संदेश देता है।
उनके लिए धर्म का मतलब एकता और प्रेम था और वे हमेशा इस बात पर ज़ोर देते थे कि हमें धर्म से ऊपर उठकर इंसानियत को अपनाना चाहिए।
बच्चे उन्हें प्यार से “कलाम अंकल” कहकर बुलाते थे
बच्चों के प्रति डॉ. कलाम का प्यार किसी से छिपा नहीं था। वे मानते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं और उनमें सपने जगाना हर शिक्षक और अभिभावक का कर्तव्य है।
इसी वजह से बच्चे उन्हें प्यार से “कलाम अंकल” कहकर बुलाते थे। वे बच्चों के बीच बैठना, उनसे बातें करना और उनके सवालों का जवाब देना बहुत पसंद करते थे। उनके लिए बच्चों की मासूमियत ही देश की सबसे बड़ी ताकत थी।
मैं तीन बेटों का पिता हूं
एक बार राष्ट्रपति भवन में हुई एक मजेदार घटना उनकी विनम्रता और हाजिरजवाबी का बेहतरीन उदाहरण बन गई।
एक दिन जब वे बच्चों से मिल रहे थे, तब एक पत्रकार ने उनसे कहा, “आप बच्चों से इतनी आत्मीयता से बात करते हैं, जबकि आपके अपने बच्चे नहीं हैं।”
इस पर कलाम मुस्कुराए और बोले, “आपसे किसने कहा कि मेरे बच्चे नहीं हैं?” पत्रकार थोड़ा हैरान हुआ और बोला, “सर, आपकी शादी नहीं हुई तो आपके बच्चे कैसे?”
कलाम हंसकर बोले, “शादी से बच्चों का क्या लेना-देना, मैं तीन बेटों का पिता हूं पृथ्वी, अग्नि और ब्रह्मोस।”
ये सुनकर वहां मौजूद सभी लोग हंस पड़े क्योंकि ये तीनों वही मिसाइलें थीं जिनके निर्माण में कलाम का महत्वपूर्ण योगदान था।
उनकी यह बात दिखाती है कि वे अपने काम को कितनी आत्मा से जोड़कर देखते थे।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को जनता ने हमेशा अपार स्नेह दिया। उन्हें ‘जनता का राष्ट्रपति’ कहा गया क्योंकि उन्होंने अपनी सत्ता को जनता की सेवा का माध्यम बनाया।
उन्होंने कभी पद का दिखावा नहीं किया, न ही कभी अहंकार दिखाया। वे हमेशा आम जनता, बच्चों और छात्रों के बीच रहना पसंद करते थे।
उनका मानना था कि असली ताकत जनता के दिलों में बसने में है, न कि ऊंचे पदों पर बैठने में।
कलाम भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, उनके सपने और उनकी मुस्कान आज भी ज़िंदा हैं।
उन्होंने हमें सिखाया कि असंभव कुछ भी नहीं होता, अगर दिल से कोशिश की जाए। उनकी सादगी और ईमानदारी आज भी हर भारतीय के लिए एक मिसाल है।