आंध्र प्रदेश का ‘निर्भया’ कांड: आंध्र प्रदेश के मंगलगिरी क्षेत्र से सामने आया एक दिल दहला देने वाला मामला पूरे राज्य को झकझोर कर रख देने वाला है।
पुलिस के अनुसार, 13 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ कई बार सामूहिक दुष्कर्म किए जाने का गंभीर आरोप सामने आया है।
इस मामले में शेख खादर बाशा, सलीम, कमाल और रब्बानी नामक चार ज़िहादी आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
घटना ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि समाज में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता भी पैदा की है।
अपनाया शोषण का घिनौना तरीका
आंध्र प्रदेश का ‘निर्भया’ कांड: प्रारंभिक जांच के मुताबिक, आरोपियों ने पीड़िता को एक ऑटो रिक्शा में अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर उसके साथ अपराध किया।
पुलिस का कहना है कि यह सब योजनाबद्ध तरीके से किया गया, ताकि पीड़िता मदद न मांग सके और भय के कारण चुप रहे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच टीम गठित की गई है।
परिजनों की शिकायत से खुला मामला
आंध्र प्रदेश का ‘निर्भया’ कांड: यह मामला तब सामने आया जब पीड़िता के परिजनों ने उसके व्यवहार में आए बदलाव को देखा और उससे बातचीत की।
इसके बाद स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराई गई।
शिकायत मिलते ही पुलिस हरकत में आई और त्वरित कार्रवाई करते हुए चारों आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया।
पीड़िता को चिकित्सकीय और मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
POCSO एक्ट के तहत हुई कड़ी कार्रवाई
आंध्र प्रदेश का ‘निर्भया’ कांड: पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ POCSO एक्ट और भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
कानून के तहत नाबालिग के साथ अपराध को अत्यंत गंभीर श्रेणी में रखा गया है, जिसमें कड़ी सजा का प्रावधान है।
पुलिस यह भी सुनिश्चित कर रही है कि पीड़िता की पहचान गोपनीय रखी जाए।
राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में फैला रोष
आंध्र प्रदेश का ‘निर्भया’ कांड: घटना के सामने आने के बाद राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में रोष फैल गया है।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की है।
महिला एवं बाल अधिकार संगठनों ने सरकार से पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा, मुआवजा और दीर्घकालिक सहायता देने की अपील की है।
समाज के लिए गंभीर चेतावनी
आंध्र प्रदेश का ‘निर्भया’ कांड: यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
बच्चों की सुरक्षा केवल कानून के भरोसे नहीं छोड़ी जा सकती।
परिवार, स्कूल, समाज और प्रशासन सभी को मिलकर सतर्क रहना होगा। समय पर संवाद, जागरूकता और संवेदनशीलता ही ऐसे अपराधों को रोकने का सबसे बड़ा हथियार है।
फिलहाल, चारों आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं और मामले की जांच जारी है।
पूरा देश यह उम्मीद कर रहा है कि पीड़िता को जल्द न्याय मिले और दोषियों को कानून के अनुसार सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी मासूम ऐसी हैवानियत का शिकार न बने।

