Alka Yagnik: 90s का दौर ही कुछ और था जब फिल्में और गाने दोनों का अपना ही एक अलग अंदाज़ था। उस समय के प्लेबैक सिंगर्स के बात ही अलग थी। उनमें से ही एक थी अल्का याग्निक। उन्होनें हाल ही में हुई एक बीमारी के कारण अपने सुनने की क्षमता खो दी है। इस बारे में उन्होनें खुद सोशल मीडिया पर पोस्ट करके जानकारी दी ही साथ ही तेज आवाज में गाने सुन ने वालों को कुछ हिदायत भी दी है। आइये जानते हैं की आखिर अल्का याग्निक को कौनसी बीमारी हुई है।
Alka Yagnik ने बीमारी की पोस्ट करके दी जानकारी
उन्होनें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट करते हुए बताया कि एक वायरल अटैक के कारण उन्होनें अपने सुनने की क्षमता खो दी है। डॉक्टर को दिखाने के बाद पता चला कि उन्हें Sensorineural nerve Hearing Loss नाम का एक रेयर disease है। उन्होनें पोस्ट में ये भी बताया कि तेज आवाज में गाने सुनने वाले लोग सावधान हो जाए ? उन्होनें ऐसा इसलिए कहा क्यूंकि ये इस बीमारी से जुड़ा हुआ है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Sensorineural nerve Hearing Loss क्या है?
अल्का याग्निक को एक अजीब सी बीमारी हुई है जिसका नाम है सेंसरिनुरल हियरिंग लॉस (Sensorineural nerve Hearing Loss)। इस बींमारी में अंदर कान से लेकर दिमाग तक जाने वाली जो नस है वो डैमेज हो जाती है। इस बीमारी के पीछे कई वजह हो सकती है जैसे :
- किसी वायरल इन्फेक्शन के बाद से मेनिनजाइटिस, मेनियार्स और खसरा रोग जैसी ऑटोइम्यून जैसी बीमारियों के बाद नस का डैमेज होना।
- सर या कान पर चोट आना
- उम्र बढ़ने के वजह से नसों का अपने आप डैमेज होना
- कुछ ऐसी दवाएं जो कानों के अंदर के cells को डैमेज करें, वो भी इस बीमारी की एक बड़ी वजह हो सकती है
लंबे समय तक तेज आवाजों के संपर्क में रहना
तेज आवाज इस बीमारी के होने की बड़ी वजह
अगर आप तेज आवाजों से ज्यादा संपर्क में रहते हैं तो भी ये बीमारी आपको हो सकती है। तेज आवाज में गाने सुनना, लंबे समय तक हेडफोन्स, बड्स लगाकर रखना भी इस बीमारी की वजह बन सकता है। दरअसल तेज आवाजें आपके उन नसों को डैमेज करती हैं जो कानों की आवाज को ब्रेन तक पहुंचाती है। इसलिए आप लोग तेज आवाज में गाने सुनना बंद करे और अपने लंबे समय तक हेडफोन्स लगाने के आदत में भी सुधार लाएं।
क्या इस बीमारी का कोई इलाज है?
National Library of Medicine के मुताबिक़ कुछ मामले जैसे वायरस इंफेक्शन पूरी तरह से ठीक होने के साथ सुनने की क्षमता लौट सकती है।लेकिन, दुर्भाग्य से ये बीमारी आमतौर पर स्थायी होती है और ये कभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाती। हालांकि अगर आप समय पर precautions लेलें और चीजों का ध्यान रखें तो हालत में सुधार जरूर आता है। इनमें दवाएं, कॉक्लियर इम्प्लांट और हियरिंग डिवाइस जैसी चीजें शामिल है।
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