अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर युध्द: मंगलवार रात (14 अक्टूबर 2025) अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर एक बार फिर खूनी झड़प हुई।
कुछ घंटों की शांति के बाद कुर्रम जिले में दोनों देशों की सेनाएँ आमने-सामने आ गईं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टैंकों से गोलाबारी हुई, कई पोस्ट पर कब्जे के दावे किए गए और कम से कम 7 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए।
यह टकराव अब सिर्फ सीमा विवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच खुले युद्ध की आहट देने लगा है।
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तालिबान का ड्रोन अटैक, पाकिस्तानी बेस पर विस्फोट
अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर युध्द: तालिबान प्रशासन ने पाकिस्तान से चार बड़े ISIS-खुरासान कमांडरों को सौंपने की माँग की है।
अफगान प्रवक्ता ने दावा किया कि इन आतंकियों ने अफगानिस्तान में कई हमलों की साजिश रची थी
।काबुल ने इस माँग को सार्वजनिक रूप से रखा है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट हुए TTP के दो गुट
अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर युध्द: इस बीच, अफगान सीमा के कुर्रम और खैबर इलाकों में सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के दो प्रमुख गुटों ने एकजुट होने की घोषणा की है।
दोनों गुटों ने TTP प्रमुख मुफ्ती नूर वली महसूद के प्रति निष्ठा जताई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान के लिए “डबल ट्रबल” साबित हो सकता है, क्योंकि अब आतंकवादी गुट एकसाथ पाक सेना के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना का पलटवार और अंतरराष्ट्रीय अपील
अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर युध्द: पाकिस्तानी सेना ने भी जवाबी कार्रवाई का दावा किया है। पाक फौज के अनुसार, उन्होंने अफगान चौकियों को तबाह कर दिया और तालिबान के एक टैंक को नष्ट किया। फिलहाल सीमा पर फौज को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
इस बीच, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मामले पर दखल की अपील करते हुए कहा है कि यह उसकी “राष्ट्रीय सुरक्षा” का मामला है।
विश्लेषकों का कहना है कि यह संघर्ष अब सिर्फ सीमा विवाद नहीं बल्कि विचारधारा और आतंकवाद के खेल में बदल चुका है।
तालिबान के ड्रोन हमले और TTP की एकजुटता इस बात के संकेत हैं कि आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया में हिंसा और अस्थिरता का खतरा बढ़ सकता है।
अगर हालात काबू में नहीं आए, तो अफगान-पाक बॉर्डर एक नए “वॉर ज़ोन” में तब्दील हो सकता है।