Friday, November 22, 2024

जाने क्या हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग, क्यों हैं इतने Trend में ?

क्या आप भी अपने बढ़ते वजन से निजात पाना चाहते है और इसके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग करने का सोच रहे है। तो सबसे पहले आपका यह जानना जरूरी है की इसे करने का सही तरीका क्या है और इसमें क्या खाना चाहिए ?

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आज कल इंटरमिटेंट फास्टिंग का ट्रेंड है। आलिया भट्ट से लेकर भर्ती सिंह, मलाइका अरोरा और जैकलीन फर्नांडीज़ तक सब खुद को फिट रखने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग अपना रहे है। इनको देख कर आम लोग भी इसके प्रति आकर्षित हो रहे है। मगर अधिकतर लोग इसे फॉलो करने का सही तरीका नहीं जानते हैं जिसकी वजह से वो इसका भरपूर फायदा नहीं उठा पाते है।

क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग ?

इंटरमिटेंट फास्टिंग में आपको क्या और कितना खाये इस बात से ज़्यादा किस समय खाये इस बात पर ध्यान देना होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आप अपनी भूक को कण्ट्रोल करकर अपने वजन को नियंत्रित कर सकते है। इंटरमिटेंट फास्टिंग भी यही करता है। इसमें हम कुछ घंटों तक फास्टिंग करते हैं और फिर भोजन करते हैं। फास्टिंग से भूख हारमोन घटता है और मेटाबॉलिज़म बढ़ता है और इससे आपकी बॉडी फास्टिंग से हबिटुअल हो जाती है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के तरीके:

1) 16/8

16/8 इंटरमिटेंट फास्टिंग सबसे ज़्यादा पसंद किये जाने वाला तरीका है। इसमें आपको 16 घंटे फ़ास्ट करना होता है और बाकि के 8 घंटे में खा सकते है। इन 16 घंटो में आपको कोई भी ठोस आहार नहीं खाना होता है। सिर्फ लिक्विड्स जैसे पानी, चाय, कॉफ़ी ही पी सकते है। ध्यान रहे की इसमें शक्कर का उपयोग न किया जाये।

2) 5/2

दूसरा तरीका है 5/2 का। इसमें आप हफ्ते के 5 दिन तो खाना खा सकते हैं मगर बाकी के 2 दिन आपको फास्टिंग करनी होगी। यानि हफ्ते के पांच दिन अप्प अपनी पसंद का खाना खा सकते है मगर बाकी के दो दिन आपको दूध व दलिया जैसा कम कैलोरी वाले खाने से ही काम चलना होगा। इसमें आपको जितना हो सके उतना पानी पीना होता है। इस तरीके से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन कंट्रोल रहता है।

3) अल्टेरनेटिंग फास्टिंग

इस तरीके में एक दिन खाना खाया जाता है और अगले दिन फास्टिंग की जाती है। इसमें फास्टिंग वाले दिन 500-600 कैलोरीज तक का खाना लिया जाता है। वहीं नॉन-फास्टिंग वाले दिन सामान्य खाना खाया जा सकता है।

कैसे होता है फायदा ?

इंटरमिटेंट फास्टिंग से बॉडी का इंसुलिन लेवल घटता है और ग्रोथ हार्मोन बढ़ते हैं।
यह बॉडी की मेटाबॉलिक हेल्थ को बेहतर करता है ओर फैट बर्निंग को सपोर्ट करता है। यह हमारी मेंटल हेल्थ को भी बेहतर करने में मदद कर सकता है।

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