Jharkhand High Court strict on Bangladeshi infiltrators: भारत में अवैध रूप से घुसने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। अदालत ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वो गैर कानूनी रूप से भारत में घुसे हुए बांग्लादेशियों को चिह्नित करें और उन पर कार्रवाई करके उन्हें वापस भेजने के लिए कार्ययोजना तैयार करें।
जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की पीठ ने बुधवार (3 जुलाई 2024) को डानियल दानिश की याचिका पर सुनवाई के बाद ये निर्देश दिए। याचिका में अदालत को बताया गया था कि संताल परगना जैसे जिले जो बांग्लादेश से सटे हुए हैं, उनमें बांग्लादेश के प्रतिबंधित संगठन सुनियोजित तरीके से झारखंड की जनजातीय लड़कियों से शादी करके उनका धर्मांतऱण करवा रहे हैं। इसे रोका जाना अनिवार्य है।
जमीन पर कब्जा भी कर रहे घुसपैठिए
याचिका में कहा गया है कि संताल परगना के बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए जिलों में अचानक मदरसों में भी बढोतरी हुई । नए 46 मदरसे हैं। याचिका में कहा गया कि इन मदरसों के जरिए देश विरोधी कार्य हो रहे हैं। न केवल जनजातीय महिलाओं का शोषण हो रहा है बल्कि घुसपैठिए जमीन पर कब्जा भी कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा यह बहुत गंभीर मसला
अदालत ने इस मामले में सरकार को दो सप्ताह के भीतर प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है जिसमें उन्हें बताना है कि उन्होंने कितने बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिह्नित किया, उनमें से कितनों को रोका और कितनों को वापस भेजने का प्रयास हो रहा है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से भी जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि ये बहुत गंभीर मसला है। इसको सिर्फ राज्य की सरकारें नहीं हैंडल कर सकतीं। केंद्र को भी इसमें राज्य के साथ काम करना चाहिए।
इलाहाबाद HC भी कर चुका टिप्पणी
गौरतलब है कि धर्मांतरण के मसले पर इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी की थी। उन्होंने ईसाई धर्मांतरण के खतरे को देख कहा था कि अगर अगर इसी तरह से धर्मांतरण का खेल जारी रहा तो आने वाले समय में देश में बहुसंख्यक जनसंख्या अल्पसंख्यक हो जाएगी। कोर्ट में ये महत्वपूर्ण टिप्पणी जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने की थी। उन्होंने कहा था कि जहाँ भी और जैसे भी भारतीय लोगों का धर्मांतरण करवाया जाता है उसे फौरन रोका जाना चाहिए।