Good News For Pet Lovers: IPC की धारा 428 और 429 अब हटा दी गयी है। इसकी जगह अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 लागू होगी। इन नए कानूनों में जानवरों और पशुओं के लिए भी प्रावधान रखे गए हैं। ये सभी एनिमल लवर्स के लिए अच्छी खबर है, क्यूंकि अब इन बेजुबानों की आवाज के लिए भी बाकायदा हमारे भारत के संविधान में कानून है।
पशु कल्याण से संबंधित एक महत्वपूर्ण विकास हुआ है। हाल ही में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की शुरूआत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ले ली है, जिससे पशु-संबंधी मामलों से संबंधित कानूनी प्रावधानों में बड़े बदलाव हुए हैं। दरससल भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 के तहत जो भी व्यक्ति जानवर को मारने, जहर देने, अपंग करने या बेकार करने जैसी हरकत करता है तो उसे पांच साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है।
जानें इसके पीछे का उद्देश्य
इसका उद्देश्य उल्लंघन और अन्य मुद्दों के मामलों में बेजुबान जानवरों को न्याय दिलवाना है। नए कानून के तहत, पूर्व IPC धाराओं के स्थान पर BNS, 2023 के समान प्रावधानों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि अब पशु-संबंधी घटनाओं से संबंधित शिकायत दर्ज करते समय बीएनएस भारतीय न्याय संहिता की धारा 325 लागू होगी।
आईपीसी की धारा 428 और 429 को बीएनएस की धारा 325 से बदला गया
विशेष रूप से, नए कानून ने आईपीसी की दो धाराओं को एक साथ जोड़ दिया है। आईपीसी की धारा 428 और 429 के बजाय, कानून अब बीएनएस, 2023 से समकक्षों पर विचार करेगा। लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये है कि, पशु-संबंधी घटनाओं पर शिकायत दर्ज करते समय, बीएनएस की धारा 325 निहित होगी। साथ ही, धारा 2 (2) ‘पशु’ शब्द को परिभाषित करती है और इसे “मानव के अलावा कोई भी जीवित प्राणी” बताती है।