Congress increased the debt burden on Himachal: हिमाचल प्रदेश में सत्ता पाने के लिए कांग्रेस ने पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का वादा किया था। कांग्रेस का यह वाद राज्य की आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ने वाला है। OPS के कारण राज्य पर आर्थिक बोझ दोगुना हो जाएगा। यह जानकारी हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्कू सरकार ने खुद दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य की कांग्रेस सरकार ने 16वें वित्त आयोग की टीम को बताया है कि आने वाले वर्षों में उसका पेंशन पर होने वाला खर्च लगभग दोगुना हो जाएगा। यह नई पेंशन स्कीम में शामिल कर्मचारियों के पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) में शामिल हो जाने के कारण होगा।
88 हजार करोड़ पहले से कर्ज, 19 हजार करोड़ और लिया
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) के कारण हिमाचल प्रदेश पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ के बीच राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्कू ने 16वें वित्त आयोग से मदद की मांग भी कर दी है। उन्होंने कहा है कि राज्य को विकास के लिए विशेष आर्थिक मदद दी जाए। इनके बीच कांग्रेस सरकार का धुआंधार तरीके से कर्ज लेने का मुद्दा भी जोर पकड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश पर वर्तमान में 88 हजार करोड़ से भी अधिक का कर्ज है। कांग्रेस सरकार बीते डेढ़ वर्ष में ही लगभग 19 हजार करोड़ का कर्ज राज्य पर चढ़ा दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद माना है कि उनके राज्य को कर्ज चुकाने के लिए ही नया कर्ज लेना पड़ रहा है।
पेंशन पर ही होगा 90 हजार करोड़ का खर्चा
राज्य सरकार ने बताया है कि वर्ष 2030-31 तक उसका पेंशन पर होने वाला खर्च 19,728 करोड़ हो जाएगा। यह वर्तमान में लगभग 10 हजार करोड़ रुपए से भी कम है। वित्त वर्ष 2026-27 से 2030-31 के बीच कुल 90 हजार करोड़ का खर्चा हिमाचल प्रदेश को पेंशन पर ही करना पड़ेगा। कांग्रेस के OPS के वादे से राज्य के अन्य विकास कार्यों के बजट में कटौती होने की आशंका है। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य के बजट में पहले पेंशन का हिस्सा मात्र 13% था जो कि OPS के बाद बढ़कर 17% हो जाएगा।
राज्य की अर्थव्यवस्था चरमराने के संकेत
कांग्रेस ने 2022 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) का वादा किया था और इसे राजनीतिक हथियार बनाया था। हालाँकि, अब इसके दुष्परिणाम सामने दिखने लगे हैं। आर्थिक बोझ के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था चरमराने के संकेत हैं। पुरानी पेंशन के कारण होने वाला यह खर्च राज्य सरकार के कर्मचारियों को दी जाने वाली तनख्वाह पर खर्च के लगभग बराबर होगा।