G7 Summit: आज (14 मई ) को इटली में 7 सबसे बड़े देशों के नेता पहुंचे हैं। यहां सबसे अमीर देशों के सबसे बड़े संगठन “G7” की बैठक हो रही है जिसमें हमारे (भारत) प्रधानमंत्री जी भी बतौर चीफ गेस्ट हिस्सा ले रहे हैं।
आपको जानकारी के लिए बता दें की इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने लोकसभा चुनाव से पहले ही उन्हें समिट का न्योता भिजवा दिया था। इस पहले भी मोदी G7 समिट का हिस्सा बन चुके हैं। भारत सबसे पहले 2003 में इस समिट में शामिल हुआ था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल जी फ्रांस पहुंचे थे।भारत इस संगठन की हिस्सा नहीं है लेकिन फिर भी PM मोदी को इस मीटिंग में क्यों बुलाया गया। क्या भारत भी इस क्लब का हिस्सा बन सकता है ?
G7 Summit: क्यों बना था G7 का ये संगठन
1973 में मिडिल ईस्ट में इजराइल और अरब के बीच युद्ध चल रहा था। इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन ने इजराइल के मदद के लिए 18 हजार रुपये की आर्थिक मादा करने का फैसला लिया था। फिलिस्तीन को सपोर्ट करने वाला सऊदी अरब उस समय इस बात से बेहद नाराज हुए जिसके चलते उन्होने न सिर्फ अमेरिका बल्कि जो भी देश इजराइल को सपोर्ट कर रहे थे उन सभी पश्चिमी देशों से बदला लेने की ठान ली।
सऊदी अरब के किंग फैसल ने तेल का उत्पादन करने वाले देशों की एक मीटिंग बुलाई जिसका नाम रखा गया ओपेक। और इन सभी देशों ने मिलकर तय किया कि ये सभी तेल के उत्पादन में कमी करेंगे और वैसा ही हुआ 1974 आते-आते दुनिया में तेल की भारी मात्रा में कमी हो गयी। जिसकी वजह से तेल की रेट 300 प्रतिशत तक बढ़ गयी। इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका और अमीर देशों पर पड़ा।
इन सब से परेशान होकर ये सभी देश एक साथ आये और बना G6 समिट यानी “ग्रुप ऑफ सिक्स”। इनमें शामिल थे जर्मनजर्मन, जापान, इटली, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन। 1976 में कनाडा भी इस संगठन का हिस्सा बन गया।
G7 समिट क्या करता है
पहली बैठक में ऑइल क्राइसिस से निपटने के लिए G7 समिट ने योजना बनाई थी । उस ही समय एक्सचेंज रेट क्राइसिस भी शुरू हुआ था। ऐसे ही मस्सों को सुलझाने के लिए सभी पश्चिमी देशों ने ये संगठन बनाया था। वो आपस में बिजनेस में और ट्रेड के मामलों को सुलझा पाए इसलिए ये बैठक हर साल होती है। ये देश की राजनीती और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
क्या भारत भी इस संगठन का हिस्सा बन सकता है?
भारत 11 बार इस समिट में हिस्सा ले चुका है। पिछले 5 साल से लगातार भारत को बतौर गेस्ट आमंत्रित किया जा रहा है जिसकी वजह से कई बार तो ऐसा ही लगता है कि भारत G7 का परमानेंट मेंबर है।
आइये इसे इस छोटे से किस्से से समझने की कोशिश करते हैं
2007 में जब ये मीटिंग जर्मनी में होने वाली थी। जर्मन ने तुरंत प्रभाव से भरत को न्योता दिया था। उस समय देश में UPA गठबंधन की सरकार थी जिसका नेतृत्व प्रधनमंत्री मनमोहन सिंह कर रहे थे। भारत को न्योता तो जरूर मिला, लेकिन क्यूंकि वो मेहमान के तौर पर वहाँ गए थेतो उन्हें अपनी देश की बात रखने के लिए टाइम अलॉट किया गया, जिसकी वजह से नाराज हुए मनमोहन सिंह ने समिट में शामिल ना होने की बात कही। जिसके बाद जर्मनी को मजबूर होकर समय सीमा बढ़ानी पड़ गयी थी ।