Why Women Are Weeker In Directions: महिलाओं के लिए “तुम्हें मैप्स की समझ नहीं” “तुम रास्ता भूल जाओगी” ये सुनना आम बात होती है।
अक्सर यह टिप्पणी घरों से शुरू होती है, जहां पिता या भाई यह कह देते हैं कि “तुम रास्ता भूल जाओगी, तुम लड़की हो।” ऐसी बातें केवल मज़ाक नहीं होतीं, बल्कि एक ऐसे पूर्वग्रह को जन्म देती हैं जो महिलाओं के आत्मविश्वास को धीरे-धीरे भीतर से तोड़ता है।
Why Women Are Weeker In Directions: एक महिला ने साझा किया कि उसके पिता अक्सर मां और फिर उससे भी यही कहते रहे कि दिशा की समझ पुरुषों में जन्मजात होती है।
लेकिन हाल ही में एक स्टडी में सामने आया कि महिलाएं मैप्स और directions समझने में कमज़ोर नहीं होती। बस उनका तरीका मैप्स पढ़े का पुरषों से अलग होता है।
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जानें इस बारे में विज्ञान क्या कहता है
Why Women Are Weeker In Directions: स्टडी में यह बात सामने आई है कि महिलाओं और पुरुषों की दिशा पहचानने की रणनीतियाँ अलग होती हैं, लेकिन उनमें कोई जैविक या मानसिक कमी नहीं होती।
पुरुष आमतौर पर चारों दिशाओं (उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम) और दूरी का उपयोग करते हैं, जबकि महिलाएं रास्तों को लैंडमार्क्स और मोड़ों के ज़रिए पहचानती हैं। ]
यानी अगर कोई महिला आपको बताए कि “जहां पीपल का पेड़ है, वहां से बाएं मुड़ो”, तो इसका मतलब यह नहीं कि उसे दिशा नहीं आती, बल्कि वह रास्ते को पहचानने का अलग तरीका अपनाती है।
पितृसत्ता और अवसर की असमानता
Why Women Are Weeker In Directions: सेना, पुलिस, नेविगेशन, ट्रकिंग या मैप-रीडिंग जैसे पेशों में लंबे समय तक महिलाओं की भागीदारी नगण्य रही। पुरुष जहां बचपन से गाड़ियों, नक्शों और खुले रास्तों से जुड़ते हैं, महिलाएं घर और संकीर्ण दायरों तक सिमटी रहती हैं।
इस असमानता ने यह भ्रम पैदा किया कि महिलाएं दिशा में कमजोर होती हैं, जबकि असल वजह उन्हें बराबर का अनुभव न मिल पाना है।
मिथक जो आत्म-विश्वास को निगल जाते हैं
Why Women Are Weeker In Directions: मनोविज्ञान में एक अवधारणा है “Self-Fulfilling Prophecy” । यानी जो बात आपको बार-बार कही जाती है, आप उसमें विश्वास करने लगते हैं और वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं।
अगर लड़कियों से बचपन से कहा जाए कि उन्हें रास्तों की समझ नहीं, तो वे धीरे-धीरे उस बात पर यकीन करने लगती हैं।
जब उन्हें मौका मिलता है, तब भी वे खुद पर भरोसा नहीं कर पातीं। यही डर, यही हिचक, उनके प्रदर्शन को प्रभावित करता है। न कि कोई वास्तविक कमी। “नेविगेशन में महिलाएं कमज़ोर हैं, ये सिर्फ एक मिथक है।”
सच्चाई यह है कि मस्तिष्क में कोई फर्क नहीं
Why Women Are Weeker In Directions: UCL इंस्टीट्यूट ऑफ कॉग्निटिव न्यूरोसाइंस और अन्य संस्थानों के शोध इस बात को पुष्ट करते हैं कि पुरुषों और महिलाओं के मस्तिष्क में कोई ऐसा अंतर नहीं है जो यह तय करे कि कौन दिशा बेहतर समझ सकता है।
तो जब अगली बार कोई कहे, “औरतें रास्ता भूल जाती हैं,” तो उन्हें बताना कि आपका मेरा रास्ते समाजगहना कातरीका लग हो सकता है लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं है कि मैं रास्ता भूल जाउंगी या रास्ता नहीं समझती।
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