Saturday, June 14, 2025

Ahemdabad Plane Crash: जानिये कैसे जल चुके शवों की पहचान करेगा डीएनए टेस्ट?

Ahemdabad Plane Crash: 12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 टेकऑफ के कुछ मिनट बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

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इस हादसे में 241 यात्रियों की मौत हो गई और कई शव इतने बुरी तरह जल चुके हैं कि पारंपरिक तरीकों से उनकी पहचान करना नामुमकिन है।

ऐसे में डीएनए टेस्टिंग ही एकमात्र भरोसेमंद उपाय बनकर सामने आई है। आइए समझते हैं कि ये तकनीक कैसे काम करती है।

क्या है डीएनए टेस्ट?

Ahemdabad Plane Crash: डीएनए यानी डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड हर व्यक्ति की कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक यूनिक जेनेटिक कोड होता है।

ये कोड हर इंसान के लिए अलग होता है, ठीक वैसे ही जैसे फिंगरप्रिंट।

जब किसी शव की पहचान मुश्किल हो जाए, खासकर जब वह जल चुका हो, तब डीएनए टेस्टिंग बेहद कारगर साबित होती है।

कैसे होती है डीएनए सैंपलिंग?

Ahemdabad Plane Crash: डीएनए टेस्टिंग की प्रक्रिया शव से सैंपल लेने से शुरू होती है।

हादसे में जल चुके शवों से हड्डी (जैसे फीमर, ह्यूमरस, या रिब्स), दांत, या बचे हुए टिशू लिए जाते हैं।

ये भाग इसलिए चुने जाते हैं क्योंकि ये अधिक तापमान में भी डीएनए को संरक्षित रखते हैं।

अहमदाबाद केस में बीजे मेडिकल कॉलेज को इस प्रक्रिया के लिए चुना गया है।

परिजनों से कैसे मिलाया जाता है डीएनए?

Ahemdabad Plane Crash: शवों से लिए गए डीएनए की तुलना मृतकों के परिजनों से लिए गए सैंपलों से की जाती है।

इसके लिए माता-पिता, बच्चे या भाई-बहनों से ब्लड, लार, या गाल की कोशिकाएं (बुक्कल स्वैब) लिए जाते हैं।

जितनी नजदीकी रिश्तेदारी, उतनी ज्यादा पहचान की सटीकता।

सैंपल को कैसे किया जाता है साफ?

Ahemdabad Plane Crash: जल चुके अवशेषों से डीएनए निकालना चुनौतीपूर्ण होता है।

पहले सैंपलों को नल के पानी और 100% इथेनॉल से धोकर बाहरी गंदगी और बैक्टीरिया हटाए जाते हैं।

फिर हड्डियों और दांतों को स्टेराइल ग्राइंडर्स में पीसकर पाउडर बनाया जाता है जिससे डीएनए निकाला जाता है।

डीएनए को कैसे निकाला जाता है?

Ahemdabad Plane Crash: डीएनए को निकालने के लिए ऑर्गेनिक एक्सट्रैक्शन टेक्नीक का इस्तेमाल होता है।

सैंपल को एक विशेष रासायनिक घोल में डालकर डीएनए को अलग किया जाता है।

अहमदाबाद हादसे में जलते वक्त प्लेन में 1.25 लाख लीटर फ्यूल था, जिससे डीएनए की क्वालिटी पर असर पड़ सकता है, लेकिन आधुनिक तकनीक ऐसे जले हुए सैंपलों से भी डीएनए निकालने में सक्षम है।

जांच के लिए कितना डीएनए जरूरी होता है?

एक बार डीएनए निकाल लिया जाता है, उसके बाद रियल-टाइम पीसीआर (Polymerase Chain Reaction) की मदद से इसकी मात्रा और क्वालिटी की जांच होती है।

यह तकनीक बताती है कि डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए पर्याप्त मात्रा में सैंपल है या नहीं।

कैसे तैयार होती है डीएनए प्रोफाइल?

Ahemdabad Plane Crash: डीएनए प्रोफाइलिंग में वैज्ञानिक शॉर्ट टैंडम रिपीट्स (STR) की जांच करते हैं। ये डीएनए के ऐसे हिस्से होते हैं जो हर इंसान में अलग-अलग होते हैं।

STR की मदद से मृतक की एक यूनिक प्रोफाइल बनाई जाती है, जिसे परिजनों के सैंपल से मैच किया जाता है।

कितने दूर तक के रिश्तेदारों का डीएनए लिया जाता है?

Ahemdabad Plane Crash: आमतौर पर माता-पिता या बच्चों के डीएनए से मिलान सबसे सटीक होता है।

यदि ये रिश्तेदार न हों, तो भाई-बहन, चाचा-चाची, नाना-नानी जैसे नजदीकी संबंधियों के सैंपल लिए जाते हैं।

अहमदाबाद हादसे में करीब 1000 डीएनए टेस्ट किए जा रहे हैं।

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