एक जून को सांतवे चरण के चुनाव खत्म होने साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 में वोट डालने की प्रक्रिया आज थम जाएगी। अब इसके बाद सभी की बेसब्री से 4 जून का इंतजार रहेगा जिस दिन सभी वोटों की गिनती की जाएगी। लेकिन 1 जून से लेकर 3 जून तक सभी न्यूज चैनल्स और पोल एजेंसीज अपने चैनल्स पर एग्जिट पोल जारी कर देंगे।अब ये एग्जिट पोल्स कितने सटीक रहेंगे इसका पता तो 4 जून को ही चलेगा।
क्या आपको पता है एग्जिट पोल्स काम कैसे करते हैं आइये इसे समझने की कोशिश करते हैं।और फिर ये देखेंगे कि पिछले लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स क्या थे और असली नतीजे क्या थे।
क्या है एग्जिट पोल और ये कैसे किया जाता है
एग्जिट का हिंदी अर्थ होता है बहार, इसलिए ये शब्द खुद बताता है कि ये पोल क्या है। ये एक तरह का चुनावी सर्वे है जो मतदान के दिन किया जाता है। इसमें वोटर्स से पूछा जाता है कि उन्होनें किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है, और उन्होनें ऐसा क्यों किया। एग्जिट पोल कराने वाली एजेंसीज और चैनल्स अपने लोगों को वोटिंग बूथ के बहार खड़ा कर देती है। जरुरी नहीं है कि उसमें यही सवाल हों, कुछ और सवाल भी पूछे जा सकते हैं जैसे प्रधामंत्री के पद के लिए आपका पसंदीदा कैंडिडेट कौन है, आपको क्या लगता है कौनसी पार्टी अच्छा काम करती है वगैरह।
एग्जिट पोल का इस्तेमाल अक्सर जीतने वाली पार्टी का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है लेकिन ये ध्यान में रखना जरूरी है कि ये हमेशा सटीक नहीं होते। एग्जिट पोल के प्रभावित होने के पीछे कारण है जैसे वोटर का झूठ बोलना या फिर ये याद ही ना रख पाना कि उनसे आखिर किस पार्टी या उम्मीदवार को वोट दिया है।
जानें एग्जिट पोल से जुड़े कुछ नियम – कानून
बता दें कि भारत में, चुनाव आयोग ने एग्ज़िट पोल को लेकर कुछ नियम-कायदे बनाए हैं ताकि किसी भी तरह से चुनाव पर इसका प्रभाव ना पड़े। रिप्रेज़ेन्टेशन ऑफ़ द पीपल्स एक्ट के तहत 1951 सेक्शन 126ए के तहत एग्जिट पोल को नियंत्रित किया जाता है। चुनाव आयोग एग्जिट पोल को लेकर समय समय पर दिशानिर्देश जारी करता रहता है। जिसमें यह बताया जाता है कि एग्जिट पोल करने का तरीका क्या होगा और आम नियम यह है कि एग्जिट पोल के नतीजों को मतदान वाले दिन प्रसारित नहीं किया जा सकता है ये मतदान खत्म होने के बाद ही जारी कए जा सकते हैं।
एग्जिट पोल के अनुमान सही होते हैं ?
एग्जिट पोल के अनुमान हमेशा सही नहीं होते हैं। आप इसे मौसम विभाग की तरह समझ सकते हैं कभी तो बिल्कुल सटीक, कभी बिल्कुल गलत तो कभी उसके आस – पास।
कई कारण है जिसकी वजह से एग्जिट पोल प्रभावित होते हैं जैसे मतदाताओं का झूठ बोलना, मतदान प्रतिशत, मतदाताओं की राय बदलना या फिर चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी होना।
भारत में अगर एग्जिट पोल की सटीकता प्रतिशत 80 से 90 के बीच में होती है।हालांकि कुछ मामलों में ये प्रतिशत बहुत है तक घाट भी जाती है।
कब हुई थी भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत ?
भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 में हुई थी। ये पोल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) द्वारा किया गया था। इस एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा चुनाव जीतेगीऔर वही हुआ BJP ने वास्तव में चुनाव जीता, लेकिन एग्जिट पोल के परिणामों ने चुनावी परिणामों को प्रभावित किया। इसके बाद, भारत में एग्जिट पोल का चलन बढ़ता गया। 1998 में, पहली बार किसी निजी न्यूज चैनल ने एग्जिट पोल का सीधा प्रसारण किया।
लोक सभा चुनाव, 2019
2019 के लोकसभा चुनावों में ज्यादातर एग्जिट पोल एजेंसीज के लगाए अनुमान सही साबित हुए। चुनाव के ज़्यादातर एग्जिट पोल में भाजपा और एनडीए को 300 से ज्यादा सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गयी थी।
कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए गठबंधन को 100 के आसपास सीटें मिलने की आशंका जताई गयी थी।असली नतीजों ने एग्जिट पोल को सटीक साबित कर दिया। भाजपा को 303 सीटें मिली और एनडीए को लगभग 350। वहीं कांग्रेस को केवल 52 सीटें मिली।