SHRI MIRIYALA APPARAO: श्री मिरियाला अप्पाराव, आंध्र प्रदेश की पारंपरिक कला बुर्रकथा के एक अग्रणी कलाकार थे। उन्होंने इस कला को न केवल संरक्षित किया बल्कि उसे नई पीढ़ी तक पहुँचाकर जीवंत बनाए रखा।
उनकी कला, शैली और समर्पण ने बुर्रकथा को एक बार फिर जनमानस में लोकप्रिय बना दिया।
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आरंभिक जीवन और कला यात्रा
SHRI MIRIYALA APPARAO: श्री अप्पाराव का जन्म 9 सितंबर 1949 को आंध्र प्रदेश के नाडाकुदुरु गांव, कडपा मंडल, ईस्ट गोदावरी ज़िले में हुआ था। मात्र 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने रावुलपालेम मंडल के जोंनाडा गांव में अपना पहला मंचन किया।
वर्ष 1968 से 2021 तक, उन्होंने 53 वर्षों में हजारों प्रस्तुतियाँ दीं और बुर्रकथा को ग्रामीण मंचों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया।
अंतर्राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक योगदान
SHRI MIRIYALA APPARAO: श्री अप्पाराव की प्रस्तुतियाँ केवल आंध्र प्रदेश तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने सिंगापुर जैसे देशों में भी बुर्रकथा का मंचन कर भारतीय परंपरा को वैश्विक पहचान दिलाई।
वह आंध्र कल्चरल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली में आयोजित जनपद विभाग प्रदर्शनी जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी भाग ले चुके थे, जहाँ उनके कार्य को सराहा गया।
प्रसारण माध्यमों पर प्रभावशाली उपस्थिति
SHRI MIRIYALA APPARAO: उनकी कला को आकाशवाणी (All India Radio) और दूरदर्शन पर भी प्रसारित किया गया, जहाँ उन्हें क्रमशः B-हाई ग्रेड और A ग्रेड कलाकार का दर्जा मिला।
इन माध्यमों से उन्होंने बुर्रकथा को घर-घर तक पहुँचाया और समाज को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया।
नई पीढ़ी को दी दिशा
SHRI MIRIYALA APPARAO: श्री अप्पाराव न केवल एक कलाकार थे, बल्कि एक शिक्षक भी थे। उन्होंने 200 से अधिक शिष्यों को प्रत्यक्ष रूप से बुर्रकथा की शिक्षा दी, जिससे इस लोककला को आगे बढ़ाने में मदद मिली।
उनके प्रशिक्षण और प्रेरणा से कई युवा कलाकार इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
सम्मान और पुरस्कारों की लंबी सूची
श्री अप्पाराव को उनके योगदान के लिए कई उपाधियाँ और पुरस्कार मिले, जिनमें शामिल हैं:
- गाना कोकिला
- गाना तुम्बुरा
- बुर्रकथा टाइगर
- रागाला अप्पाराव
- वाईएसआर लाइफ अचीवमेंट अवॉर्ड (2021)
- सुवर्ण घंटा कंकणम (1970, नाडाकुदुरु गांववासियों द्वारा)
- राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार (1975) जो आंध्र प्रदेश सरकार की प्रतियोगिता में प्रदान किया गया था।
अवसान और स्मृति
SHRI MIRIYALA APPARAO: 15 जनवरी 2025 को श्री मिरियाला अप्पाराव का निधन हो गया।
उनके जाने से बुर्रकथा जगत में एक गहरा खालीपन आ गया है, लेकिन उनका योगदान और उनकी सिखाई कला आने वाले वर्षों में भी लोगों को प्रेरित करती रहेगी।