Tuesday, July 8, 2025

जयपुर के राजादित्य मोहन ने अमेरिका में बायोसेंसर प्रोजेक्ट से लहराया भारत का परचम, ISEF – 2025 में लिया भाग

ISEF: मई 2025 में अमेरिका के ओहायो राज्य के कोलंबस शहर में आयोजित हुए Regeneron International Science and Engineering Fair (ISEF) में भारत के कई होनहार छात्रों ने भाग लिया। इन्हीं में से एक थे जयपुर के राजादित्य मोहन।

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जिन्होंने अपने साथी राजल अचलावत के साथ मिलकर एक अनोखा बायोसेंसर प्रोजेक्ट VitalEdge प्रस्तुत किया। इस प्रोजेक्ट को IRIS में “Grand Award” से सम्मानित किया गया, जिसके बाद वो ISEF में गए — जो कि भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

अब आइए समझते हैं कि ISEF क्या है, भारत से छात्र इसमें कैसे भाग लेते हैं, और फिर जानते हैं राजआदित्य के इस खास प्रोजेक्ट के बारे में।

Table of Contents

  1. ISEF क्या है, और इसे दुनिया की सबसे बड़ी छात्र विज्ञान प्रतियोगिता क्यों कहा जाता है
  2. भारत से ISEF में जाने का रास्ता IRIS National Fair से होकर जाता है
  3. जयपुर के छात्रों का बायोसेंसर प्रोजेक्ट VitalEdge क्या है ?
  4. VitalEdge को मिला Grand Award, भारत को मिला वैश्विक सम्मान
  5. निष्कर्ष

ISEF क्या है, और इसे दुनिया की सबसे बड़ी छात्र विज्ञान प्रतियोगिता क्यों कहा जाता है

ISEF हर साल Society for Science द्वारा आयोजित एक वैश्विक विज्ञान प्रतियोगिता है, जिसमें हाई स्कूल के छात्र अपने इनोवेटिव प्रोजेक्ट दुनिया के सामने प्रस्तुत करते हैं। 2025 में यह इसका 75वां संस्करण था जिसमें 60 से ज़्यादा देशों के लगभग 1700 छात्र शामिल हुए।

यह मंच छात्रों को केवल विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नवाचार दिखाने का ही नहीं, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिकों और निवेशकों से जुड़ने का भी अवसर देता है।

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भारत से ISEF में जाने का रास्ता IRIS National Fair से होकर जाता है

भारत में ISEF तक पहुंचने के लिए छात्रों को पहले IRIS (Initiative for Research and Innovation in Science) National Fair में चयनित होना पड़ता है। यही भारत का आधिकारिक प्लेटफॉर्म है जहाँ से हर साल चुनिंदा प्रोजेक्ट्स को ISEF के लिए नामांकित किया जाता है।

2025 में IRIS से चयनित हुए 23 छात्रों ने ISEF में 20 प्रोजेक्ट्स प्रस्तुत किए। भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इन छात्रों की अमेरिका यात्रा, ठहराव और प्रतियोगिता से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं को संभाला।

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जयपुर के छात्रों का बायोसेंसर प्रोजेक्ट VitalEdge क्या है ?

ISEF: राजादित्य मोहन और राजल अचलावत का प्रोजेक्ट VitalEdge एक नॉन-इनवेसिव बायोसेंसर है, जो लार के नमूने से शरीर के अंदर मौजूद कुछ महत्वपूर्ण जैविक संकेतकों (बायोमार्कर्स) की जांच करता है। इसमें शामिल हैं:

ग्लूकोज़ (diabetes के लिए),

लैक्टेट (मेटाबोलिक एक्टिविटी के लिए),

टेस्टोस्टेरोन (हार्मोन बैलेंस के लिए),

विटामिन C (पोषण मूल्य के लिए)।

इस डिवाइस की खासियत यह है कि इसमें खून निकालने की ज़रूरत नहीं होती। यह तकनीक खासतौर पर टेलीहेल्थ, ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा और दूरदराज के क्षेत्रों में बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। इसके साथ एक AI-सक्षम एनालिसिस सिस्टम जुड़ा हुआ है जो स्वास्थ्य डेटा को रियल टाइम में प्रोसेस करता है।

यह प्रोजेक्ट संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) –

SDG 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण)

SDG 9 (उद्योग, नवाचार और आधारभूत संरचना)
के अंतर्गत भी उल्लेखनीय योगदान करता है।

ISEF: VitalEdge को मिला Grand Award, भारत को मिला वैश्विक सम्मान

राजादित्य मोहन को उनके इस प्रोजेक्ट के लिए ISEF 2025 में Grand Award से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार भारत की युवा वैज्ञानिक प्रतिभा को वैश्विक स्तर पर मिली एक बड़ी मान्यता है।

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इस उपलब्धि ने न सिर्फ जयपुर बल्कि पूरे देश को गौरव से भर दिया है। यह उदाहरण उन तमाम छात्रों के लिए प्रेरणा है जो विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया करने की चाह रखते हैं।

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निष्कर्ष

ISEF: राजादित्य और राजल का प्रोजेक्ट इस बात का प्रमाण है कि भारतीय छात्र यदि सही दिशा, मंच और सहयोग पाएं, तो वे विज्ञान और तकनीक में दुनिया भर में भारत का नाम रोशन कर सकते हैं। ISEF 2025 की यह उपलब्धि भविष्य के भारतीय वैज्ञानिकों के लिए एक मजबूत प्रेरणा बनेगी।

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