Boycott Turkey: जम्मू-कश्मीर में आंतकी हमले के बाद भारत की ओर से आतंकवादियों के खिलाफ पाकिस्तान में की गई कार्रवाई के दौरान पाकिस्तान का साथ देने वाले देश तुर्कीये का बॉयकॉट करने का सिलसिला जोर पकड़ रहा है। भारत से बड़ी संख्या में जाने वाले पर्यटकों ने अपनी बुकिंग तुर्कीये और अजरबैजान के लिए कैंसिल करवाए हैं। अब भारतीय जन भावना के मद्देनजर कोटा विश्वविद्यालय ने तुर्किए के साथ अपने सभी एमओयू रद्द कर दिए हैं। 22 से 26 मई के बीच तुर्किए में होने वाली कॉन्फ्रेंस में भी भारतीय दल हिस्सा नहीं लेगा। इसी प्रकार तुर्कीये से आने वाली गोल्ड और डायमंड ज्वेलरी का भी बॉयकॉट शुरू हो गया है। जोधपुर के ज्वैलरी व्यापारियों ने टर्किश ज्वेलरी का बहिष्कार कर दिया हे।
शैक्षणिक संस्थानों से एमओयू किए निरस्त
कोटा विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार भावना शर्मा ने बताया कि तुर्किए और अजरबैजान से व्यापार व पर्यटन के बाद शिक्षाविद अनुसंधान का भी बहिष्कार कर रहे हैं। देश पहले, सब कुछ बाद में की भावना को देखते कोटा यूनिवर्सिटी की शिक्षाविद् डॉ. अनुकृति शर्मा ने तुर्किए में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से नाम वापस ले लिया। तुर्किए के दो प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों से एमओयू निरस्त कर दिए। इनमें सिनोप विश्वविद्यालय के साथ जनवरी 2021 में हस्ताक्षरित मेवलाना विनिमय कार्यक्रम प्रोटोकॉल और अफयोन कोकातेपे विश्वविद्यालय के साथ मई 2024 में किया सहयोग समझौता शामिल है। भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष से 15 मई को प्राप्त पत्र में तुर्किए सहित कई देशों ने भारत-विरोधी गतिविधियों का मुद्दा उठाया गया था, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है।
राष्ट्रीय हित सर्वोपरि : प्रोफेसर डॉ. अनुकृति शर्मा
कोटा विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मामलों की निदेशक व वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनुकृति शर्मा ने बताया कि 22-25 मई को तुर्किए के दिदिम में द्वितीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन व सांस्कृतिक अध्ययन कॉन्फ्रेंस में भागीदारी करने वाली थी। इसके लिए उनके टिकट भी टर्किश एयरलाइंस से बुक हो गए थे। राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। एकेडेमिक भी इससे अछूता नहीं है, इसलिए भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के हित में यह उठाया गया है।
इधर, जोधपुर के ज्वैलर्स बोले- नहीं बेचेंगे टर्किश ज्वेलरी
तुर्कीये से आने वाली गोल्ड और डायमंड ज्वेलरी का भी बॉयकॉट शुरू हो गया है। जोधपुर ज्वैलर्स एसोसिएशन ने सामूहिक निर्णय लेते हुए तुर्कीये की ज्वेलरी नहीं बेचने का निर्णय लिया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन सोनी ने बताया कि पूरे एसोसिएशन ने एक मत से तुर्कीये की ज्वेलरी नहीं बेचने का निर्णय लिया है। यहां इस ज्वेलरी की काफी डीमांड रहती है। जोधपुर में अब तुर्कीये की ज्वेलरी नहीं बिकेगी। गौरतलब है कि तुर्कीये से भारत का आयात निर्यात बड़ी मात्रा में होता है। 2024 में भारत की ओर से तुर्कीये से मोती, बहुमूल्य पत्थरों, ज्वेलरी और धातुओं का कुल आयात 274।91 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें अब कमी आना तय माना जा रहा है।
तुर्कीये की प्लेन गोल्ड, लाइट वेट ज्वेलरी
तुर्कीये से आने वाली ज्वेलरी प्लेन गोल्ड की होती है। सोने पर ही कट्स से ही उसे आकर्षक बनाया जाता है। इसके अलावा यह ज्वेलरी काफी लाइट वेट होती है। वजन में कम और गुणवत्ता में सही होने के साथ साथ सुंदर होने से इसका चलन तेजी से भारत में बढ़ा है। हाल ही में सोना महंगा होने के बाद लाइट वेट ज्वेलरी की डिमांड बढ़ने से तुर्कीये की ज्वेलरी के लिए भारतीय बाजार बहुत बड़ा साबित हो सकता था, लेकिन पाकिस्तान का सहयोग देने से अब ज्वेलर्स की ओर से बॉयकॉट करने से इसका नुकसान तुर्कीये को उठाना पड़ेगा।