Sunday, May 4, 2025

Manusmriti: राहुल गांधी को शंकराचार्य ने बताया ‘हिंदू धर्म से बाहर’: मनुस्मृति पर टिप्पणी बनी विवाद का कारणशंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बोले– “जो मनुस्मृति को नहीं मानता, वो हिंदू नहीं”

Manusmriti: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को हिंदू धर्म से निष्कासित करने की घोषणा की है। यह बयान राहुल गांधी द्वारा संसद में मनुस्मृति पर की गई टिप्पणी के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “बलात्कारियों को संरक्षण देना संविधान में नहीं लिखा है, लेकिन तुम्हारी किताब में लिखा है।” शंकराचार्य का दावा है कि ‘तुम्हारी किताब’ से उनका आशय मनुस्मृति से था।

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शंकराचार्य बोले, “मनुस्मृति को न मानने वाला हिंदू नहीं”

Manusmriti अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मनुस्मृति केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों में से एक है। उनके अनुसार, मनुस्मृति को न मानने वाला कोई भी व्यक्ति स्वयं को हिंदू नहीं कह सकता। उन्होंने आगे कहा कि हिंदू धर्म में कुल 18 स्मृतियाँ हैं, जिनमें मनुस्मृति भी शामिल है, और इन्हें धर्मशास्त्र के रूप में स्वीकार किया जाता है।

राहुल गांधी पर मंदिरों में प्रवेश न देने की मांग

Manusmriti: शंकराचार्य ने यह भी मांग की कि राहुल गांधी को अब किसी भी हिंदू मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति धर्म के मूल ग्रंथों को सार्वजनिक मंच से नकार देता है, तो उसे उस धर्म का अनुयायी नहीं माना जा सकता। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी ने संवेदनशील विषय उठाया, लेकिन उसे राजनीति का हथियार बनाकर सनातन धर्म पर हमला किया।

पहले भी उठ चुका है मनुस्मृति को लेकर विवाद

राहुल गांधी का यह बयान कोई पहली बार नहीं है जब मनुस्मृति विवादों में रही हो। दिसंबर 2024 में राहुल गांधी ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि वह संविधान से ऊपर मनुस्मृति को प्राथमिकता देती है। इसके पहले, साल 2023 में राजद प्रवक्ता प्रियंका भारती ने एक टीवी डिबेट के दौरान मनुस्मृति के पन्ने फाड़ दिए थे, जिससे भारी विवाद हुआ था। दलित संगठनों द्वारा इसे जातिवादी और महिलाओं के विरुद्ध बताया गया, जबकि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने मनु महाराज की कुछ बातों की सराहना भी की थी।

शंकराचार्य की टिप्पणी और राहुल गांधी का संसद में दिया गया बयान यह दर्शाता है कि धार्मिक ग्रंथों पर राजनीतिक टिप्‍पणियाँ कितना बड़ा विवाद खड़ा कर सकती हैं। यह विवाद केवल धर्म तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि इससे राजनीति और समाज दोनों में गहरी बहस छिड़ गई है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है और क्या राहुल गांधी खुद इस पर कोई सफाई देंगे या नहीं।

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