Pope Francis: दुनिया भर के करोड़ों ईसाइयों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक और करुणा, सुधार तथा विनम्रता के प्रतीक पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस हाल के दिनों में डबल निमोनिया और किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और कुछ दिन अस्पताल में रहने के बाद हाल ही में घर लौटे थे। वेटिकन टीवी चैनल पर कार्डिनल केविन फैरेल ने उनकी मृत्यु की पुष्टि करते हुए बताया कि उनका निधन सुबह 7:35 बजे हुआ।
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Pope Francis: लैटिन अमेरिका से पहले पोप: एक नई शुरुआत
Pope Francis: 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में जन्मे पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था। वे रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी और पहले जेसुइट पोप थे। पोप बनने से पहले उन्होंने एक केमिकल टेक्निशियन के रूप में अपना करियर शुरू किया और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में काम किया। बाद में आध्यात्मिकता की ओर झुकाव ने उन्हें चर्च से जोड़ दिया।
Pope Francis: एक असाधारण आध्यात्मिक यात्रा
1958 में जेसुइट समुदाय से जुड़ने के बाद 1969 में वे पादरी नियुक्त हुए। उन्होंने अर्जेंटीना में जेसुइटों का नेतृत्व किया और 1992 में ब्यूनस आयर्स के ऑक्सीलरी बिशप बने। 1998 में वे आर्कबिशप और 2001 में कार्डिनल बने। 2013 में जब पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने इस्तीफा दिया, तो बर्गोलियो को पोप के रूप में चुना गया और वे “पोप फ्रांसिस” के नाम से जाने गए।
12 वर्षों में बदलाव की क्रांति
Pope Francis: पोप फ्रांसिस का 12 वर्षीय कार्यकाल सुधारों, करुणा और पारदर्शिता का पर्याय बन गया। उन्होंने वेटिकन की नौकरशाही में बड़ा पुनर्गठन किया और प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा दिया। चर्च की नीति में बदलाव करते हुए उन्होंने समलैंगिक जोड़ों को आशीर्वाद देने की अनुमति दी और महिलाओं को वेटिकन के कई उच्च पदों पर नियुक्त किया।
उन्होंने चार बड़े धार्मिक दस्तावेज तैयार किए, 65 से अधिक देशों का दौरा किया और 900 से अधिक संतों की घोषणा की। उन्होंने चर्च के भीतर संवाद और सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिए आठ कार्डिनलों की एक विशेष परिषद भी बनाई।
Pope Francis: साधारण जीवनशैली और गहरी संवेदना
पोप फ्रांसिस ने पारंपरिक वैभव को छोड़ते हुए वेटिकन गेस्ट हाउस में रहना पसंद किया और विनम्र जीवन शैली अपनाई। उन्होंने गरीबों और वंचितों के अधिकारों की पुरजोर वकालत की और युद्धग्रस्त क्षेत्रों में शांति के प्रयासों में अपना योगदान दिया। उनके कार्यों में करुणा और न्याय की भावना स्पष्ट झलकती रही।
अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति: ईस्टर की शुभकामनाएं
Pope Francis: अपने निधन से ठीक एक दिन पहले, पोप फ्रांसिस ने वेटिकन में ईस्टर के मौके पर श्रद्धालुओं से मुलाकात की थी। उन्होंने अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से भी भेंट की और लोगों को ईस्टर की शुभकामनाएं दीं। यह उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति बनी।
वैश्विक श्रद्धांजलियां
Pope Francis: पोप फ्रांसिस के निधन की खबर आते ही दुनिया भर के नेताओं और श्रद्धालुओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस का प्रतीक बताते हुए कहा कि उनका जीवन गरीबों और वंचितों की सेवा के लिए समर्पित रहा।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें ‘सबसे कमजोर लोगों के रक्षक’ बताया।
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और जर्मनी के चांसलर ने भी गहरी संवेदना व्यक्त की।
इज़राइल के राष्ट्रपति ने उन्हें शांति और मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक कहा।
पूर्वी तिमोर के राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्ता ने उन्हें “दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति” करार दिया और एक सप्ताह तक राष्ट्रीय झंडे झुकाने की घोषणा की।