भारत के कई राज्यों में 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान के साथ भीषण गर्मी पड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ब्रेन स्ट्रोक के मामले दर्ज किए गए हैं।
गर्मियों में चलने वाली लू आमतौर पर हीट स्ट्रोक के लिए असामान्य नहीं है । लेकिन हाल ही में ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में भी अचानक वृद्धि हुई है।
जो लोग असामान्य रूप से उच्च शरीर के तापमान का अनुभव करते हैं, उन्हें हीट स्ट्रोक हो सकता है। यह आम तौर पर अत्यधिक गर्म परिस्थितियों के अचानक संपर्क में आने से होता है। दूसरी ओर हमारा मस्तिष्क तापमान या रक्तचाप में अचानक परिवर्तन को अनुकूलित करने में सक्षम नहीं होता है जिसके कारण ब्रेन स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है।
जब तापमान अचानक बदलता है तो रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है और थक्का बन जाता है। आमतौर पर ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं यानी इस्केमिक और हेमोरेजिक, वर्तमान समय में इस्केमिक स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं ।
जानिए ब्रेन स्ट्रोक कितने प्रकार के होते हैं ।
डॉक्टरों के मुताबिक यह दो तरह के होते हैं, जिनमें पहला है सिस्मिक स्ट्रोक। ऐसे में किसी कारणवश दिमाग की नसों में रक्त संचार रुक जाता है। इससे ब्रेन हेमरेज का खतरा 99 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। दूसरी ओर, रक्तस्रावी स्ट्रोक होता है जिसमें मस्तिष्क की नस फटने के कारण रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। इससे शरीर के किसी भी हिस्से में लकवा हो सकता है ।
ब्रेन स्ट्रोक से कैसे बचें?
ऐसे कुछ तरीके हैं जिनसे हम ब्रेनस्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं जैसे:
1. आरामदायक कपड़े पहनें
2. बाहर जाते समय हमेशा छाता साथ रखें या टोपी पहनें
3. हमेशा हाइड्रेटेड रहें और घर पर बने पेय पदार्थ जैसे निंबू पानी, लस्सी, छाछ आदि पिएं।
4. सोडा और शराब पीने से बचें
5. गर्मी के संपर्क से बचें
6. धूप में निकलने से पहले अच्छी मात्रा में एसपीएफ 30 सनस्क्रीन लगाएं
लक्षण
शरीर के एक हिस्से में अंतर दिखना
चेहरे, हाथ और पैरों का सुन्न होना
बोलने में दिक्कत हो रही है
दृष्टि समस्या
भयंकर सरदर्द
उल्टी और मतली
शरीर में गंभीर अकड़न