RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 9 अप्रैल 2025 को रेपो रेट में 25 बेसिस प्वॉइंट्स यानी 0.25% की कटौती का ऐलान किया है। इस फैसले के बाद अब रेपो रेट घटकर 6% रह गया है। साल 2025 में यह दूसरी बार है जब रेपो रेट में कमी की गई है। इससे पहले फरवरी महीने में भी RBI ने यही कटौती की थी, जिससे रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हुआ था। अब एक बार फिर कटौती के बाद यह 6% पर आ गया है।
रेपो रेट क्या होता है और इसका क्या मतलब है?
RBI: रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब बैंकों को पैसे की जरूरत होती है, तो वे रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं और उस पर ब्याज चुकाते हैं – यही दर ‘रेपो रेट’ कहलाती है। यह दर जितनी कम होती है, बैंकों के लिए फंड जुटाना उतना ही सस्ता होता है।
रेपो रेट घटने से EMI होगी सस्ती
RBI: जब RBI रेपो रेट कम करता है तो बैंकों को कम ब्याज पर फंड मिलते हैं। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलता है, क्योंकि बैंक भी लोन पर ब्याज दरें घटा देते हैं। इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन पर ब्याज कम होता है और EMI में राहत मिलती है। खासतौर पर फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन ग्राहकों को इसका फायदा मिलता है।
फिलहाल होम लोन पर ब्याज दर 8.10% से 9.5% के बीच है, लेकिन अब इनमें थोड़ी राहत देखने को मिल सकती है। जो लोग घर या गाड़ी खरीदने की सोच रहे हैं, उनके लिए यह अच्छा मौका हो सकता है।
आखिर क्यों घटाता है RBI रेपो रेट?
RBI आर्थिक परिस्थितियों के आधार पर रेपो रेट घटाता या बढ़ाता है। जब अर्थव्यवस्था सुस्ती की ओर बढ़ रही होती है, तब निवेश और खर्च को बढ़ावा देने के लिए RBI रेपो रेट घटाता है। इससे बैंकों के लोन सस्ते हो जाते हैं और लोग ज्यादा कर्ज लेते हैं, जिससे बाजार में पैसे का प्रवाह बढ़ता है। इस कदम से विकास दर को रफ्तार मिलती है और उपभोग में वृद्धि होती है।
किन्हें होगा सबसे ज़्यादा फायदा?
- मौजूदा फ्लोटिंग रेट वाले होम लोन धारकों को
- नया लोन लेने वाले ग्राहकों को
- कार, बाइक और पर्सनल लोन लेने वालों को
- छोटे व्यवसायियों को जो बैंक फाइनेंसिंग पर निर्भर रहते हैं