Saturday, April 19, 2025

Uttar Pradesh: अतीक अहमद के परिवार ने हड़प रखी थी 71 करोड़ की वक्फ संपत्ति, अब योगी सरकार लेगी एक्शन

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Uttar Pradesh: मारे गए गैंगस्टर अतीक अहमद के परिवार ने कथित तौर पर वक्फ की 71 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़प रखी थी, जिसका खुलासा हाल ही में वक्फ संशोधन कानून के आने के बाद हुआ है। इस मामले में योगी सरकार की सख्त जांच और कार्यवाही की संभावना जताई जा रही है।

Uttar Pradesh: हाल ही में उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जो वहां की राजनीती और कानून में भूचाल ला सकती है। खुलासा है कि मारे गए माफिया डॉन अतीक गैंगस्टर अतीक अहमद के परिवार ने वक्फ की 71 करोड़ रुपये की वक्फ सम्पत्तियां हड़प रखी थी। ये खुलासा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी देने के बाद हुआ है। इस संशोधन बिल को राज्यसभा और लोकसभा संसद में इस ही सप्ताह पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद ये कानून बन गया।

उत्तर प्रदेश के सेंट्रल वक्फ की जांच में हुआ खुलासा

Uttar Pradesh: इस ही चलते उत्तर प्रदेश के सेंट्रल वक्फ बोर्ड और प्रयागराज संभागीय आयुक्त ने वक्फ बोर्ड के दुरूपयोग और वक्फ की अवैध समपत्तियों की लेकर जांच शुरू की थी। इस ही जांच में पता चला की अतीक अहमद के परिवारजनों और सहयोगियों ने कई व्यावसायिक और आवासीय सम्पत्तियों पर अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुआ था। इनमें दुकानें, घर और कॉम्प्लेक्स इमारतें शामिल हैं। वक्फ बोर्ड द्वारा एक नया कार्यवाहक नियुक्त किया गया है। ये सम्पत्तियां कथित तौर पर वक्फ बोर्ड द्वारा नियुक्ति (कार्यवाहक) मुतवल्ली सैय्यद मोहम्मद आशियाम के अंतर्गत थी जिसने अतीक अहमद के परिवार की सम्पत्तियों पर कब्ज़ा करने में मदद की।

अतीक अहमद के परिवार के 7 सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज

Uttar Pradesh: जांच के बाद पुलिस ने अतीक अहमद के सात सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।अपराधियों द्वारा अवैध रूप से हड़पी गयी जमीनों पर योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन के चलते बुलडोजर चलाया गया। योगी सरकार के अधिकारीयों ने अपने बुलडोजर न्याय के चलते वक्फ भूमि के दुरूपयोग सहित सभी अवैध सम्पत्तियों पर बुलडोजर चलने की कसम खायी है।

कुछ सम्पत्तियां अभी भी जांच के दायरे में है। अधिकारीयों का कहना है की कार्यवाही आसन्न है।वरिष्ठ जिला अधिकारी ने कहा है कि जहाँ भी अवैध सम्पत्तियाँ मिलेगी उन पर तुरंत एक्शन लिया जायेगा।

उत्तर प्रदेश के पूर्व माफिया डॉन अतीक अहमद के परिवार से जुड़ा वक्फ संपत्तियों पर कब्जे का मामला उस समय सामने आया है जब हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को कानूनी समर्थन मिला है। यह विवाद दर्शाता है कि किस प्रकार धार्मिक ट्रस्ट की संपत्तियाँ अब भी प्रभावशाली परिवारों के नियंत्रण में बनी हुई हैं।

नए वक्फ बोर्ड्स, वक्फ में भ्रष्टाचार रोकेंगे?

Uttar Pradesh: नए वक्फ संशोधन का उद्देश्य वक्फ बोर्डों के संचालन को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाना है। इस अधिनियम के अंतर्गत वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण, सख्त ऑडिट प्रणाली और जवाबदेही तंत्र की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त, वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण या दुरुपयोग के मामलों में अब कठोर दंड का भी प्रावधान किया गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों से चलाए जा रहे माफिया विरोधी अभियान के तहत अब तक सैकड़ों करोड़ रुपये की अवैध संपत्तियाँ जब्त या ध्वस्त की जा चुकी हैं। इनमें अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे कुख्यात अपराधियों से जुड़ी संपत्तियाँ भी शामिल हैं। 2023 में पुलिस हिरासत में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बावजूद, उनके परिवार का धार्मिक ट्रस्ट की संपत्तियों पर नियंत्रण अब भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

Uttar Pradesh: यह मामला केवल एक परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने पूरे देश में वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। भारत में लगभग 6 लाख एकड़ से अधिक वक्फ भूमि है, जिनमें से कई पर आज भी सरकारी निगरानी की कमी के कारण अवैध कब्जे और गुपचुप हस्तांतरण होते रहते हैं। ये संपत्तियाँ जिनका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के कल्याण हेतु होता है, भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण के चलते अपने मूल उद्देश्य से भटक रही हैं।

संशोधित अधिनियम इन समस्याओं को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसमें रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण, मानकीकृत प्रक्रियाओं और तीसरे पक्ष द्वारा नियमित ऑडिट जैसे उपाय शामिल हैं, जो पारदर्शिता को बढ़ावा देंगे। हालांकि, कुछ आलोचकों का मानना है कि इससे धार्मिक संस्थानों पर केंद्र सरकार की निगरानी बहुत अधिक बढ़ सकती है और इससे समुदाय का नियंत्रण कमजोर पड़ सकता है।

Uttar Pradesh: योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस पूरे मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट संदेश दिया है कि अब चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उसे धार्मिक या सार्वजनिक ट्रस्ट की संपत्तियों का निजी हित में दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह न सिर्फ एक कानूनी कदम है, बल्कि एक नैतिक संदेश भी है कि अब कानून से ऊपर कोई नहीं है।

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