Mike Benz: सोचिए, अगर किसी देश का चुनाव किसी और देश की उंगलियों पर नाच रहा हो तो। अभी हाल ही में ऐसा कुछ खुलासा किया पूर्व अमेरिकी अधिकारी माइक बेंज ने। उनका दावा है कि अमेरिका ने भारत और बांगलादेश में चुनावों को प्रभावित करने के लिए यूएसएआईडी, मीडिया, और सोशल मीडिया सेंसरशिप का इस्तेमाल किया। अब सवाल है कि आखिर अमेरिका ने ये सब किया कैसे?
Mike Benz: 2019 के लोकसभा चुनावों में अमेरिका का हस्तक्षेप?
]Mike Benz: दरअसल 2019 में भारत में हुए लोकसभा चुनावों में बेंज के मुताबिक, यूएसएआईडी ने बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ नैरेटिव सेट किया। ‘फेक न्यूज़’ के नाम पर प्रो-बीजेपी कंटेंट दबाया गया और व्हाट्सएप की फॉरवर्डिंग लिमिट से उनकी डिजिटल स्ट्रेटजी कमजोर हुई। फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर प्रो-मोदी कंटेंट सेंसर करने का दबाव भी डाला गया।
Mike Benz: बांग्लादेश में भी चल रहा यही खेल
Mike Benz: बात करें बांग्लादेश की तो वहां भी यही खेल है। बेंज के मुताबिक, USAID ने शेख हसीना सरकार को कमजोर करने की कोशिश की। इसके लिए अल्पसंख्यकों को फंडिंग, कार्यकर्ताओं को संगठित किया और एंटी-गवर्नमेंट एजेंडा चलकर युवाओं को भड़काया गया जिससे वहां पर दंगे हुए। बेंज ने इसे इसे यूक्रेन, वेनेजुएला और मिडिल ईस्ट जैसी अमेरिकी रणनीति बताते हैं, जहां मीडिया, डिजिटल सेंसरशिप और फंडिंग से सरकारों को अस्थिर किया गया।
USAID क्या है?
Mike Benz: आपको बता दें कि इससे पहले भी USAID पर विदेशी सरकारों को प्रभावित करने और राजनीतिक हस्तक्षेप करने के आरोप लगे हैं। इस ही USAID पर ईरान में विरोधियों को मदद देने और इज़राइल-फिलिस्तीन मामले में दखल देने के आरोप भी लगे हैं। USAID सीधे आतंकी संगठनों को फंड नहीं करता, लेकिन उसकी फंडिंग ऐसे लोगों के हाथ में जरूर पहुंच जाती है जो बाद में ऐसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। लेकिन ऐसे में सवाल ये है कि अमेरिका के नाम का इस्तेमाल कर रहा usaid संगठन आखिर है किसका? कौन तय करता है कि किस देश की राजनीति बदलेगी और किस सरकार को कमजोर किया जाएगा? usaid की हकीकत ये है कि ये लोग अपनी ताकत साबित करने के लिए दूसरों की जड़ें काटते हैं।