Thursday, January 30, 2025

Mahakumbh Stampede: 71 साल पहले महाकुंभ में मची थी भगदड़, 800 लोगों की हुई थी मौत

Mahakumbh Stampede: 1954 में आयोजित हुए महाकुंभ में आज ही के दिन यानी मौनी अमावस्या पर भगदड़ मची थी जिसके कारण 800 लोगों की मौत हो गयी थी।

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Mahakumbh Stampede: प्रयागराज में 29 जनवरी को दूसरा शाही स्नान चल रहा है। और इस ही शाही स्नान के दिन रात को 1 बजे भगदड़ मच गयी और लगभग 1 दर्जन लोगों के मरने के खबरें सामने आ रही हैं। साथ ही कई के घायल होने की भी खबर है। हादसे के तसवीरें काफी विचलित करने वाली रही। तस्वीरों में घटनास्थल पर कपड़े, बैग, जूते-चप्पल जैसे सामन अस्त-व्यस्त दिखाई दिए तो वही जमीन पर पड़ी लाशें भी नजर आयी। ये हादसा ठीक 71 साल पहले हुए महाकुंभ हादसे जैसा ही था जहां करीबन 800 लोग मौत की नींद सो गए।

ये बात है साल 1954 की जब आजाद भारत में पहली बार महाकुंभ का आयोजन हुआ था। ये भी इलाहाबाद यानी आज के प्रयागराज में ही आयोजित हुआ था। इस महाकुंभ में 3 फरवरी को मौनी अमावस्या थी यानी की शाही स्नान का दिन। लाखों लोग संगम तट पर थे। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी उस समय वहाँ मौजूद थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्हें देखने के लिए लोगों में उत्साह उत्पन्न हुआ जिसके कारण महाकुंभ में भगदड़ मच गयी। लेकिन अगर उस समय के अखबारों की खबरों को खंगाला जाए तो एक अलग ही कहानी नजर आती है।

Kumbh 2

Mahakumbh Stampede: नागा साधुओं ने श्रद्धालुओं की ओर मोड़ा त्रिशूल

Mahakumbh Stampede: 3 फरवरी, 1954 को शाही स्नान वाले दिन अखाड़ों का जुलूस निकलना था जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग खड़े थे। भीड़ बढ़ती गयी तो लोग नागा साधुओं के जुलूस के बीच से निकलने की कोशिश करने लगे। कहा जाता है इस वक्त आगा साधुओं ने अपने त्रिशूल श्रद्धालुओं की ओर मोड़ दिए जिसके कारण वो निकल नहीं पाए और भगदड़ मच गयी। कई भगदड़ में दबकर मारे गए तो कुछ गंगा में समा गए।

जवाहर लाल नेहरू को देखने के लिए मची थी भगदड़

Mahakumbh Stampede: लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स इस बात को नहीं मानती है। कुछ रिपोर्ट्स में लिखा है कि उस दिन करीब 10 बजे पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी संगम पर रैली करने पहुंचे थे। जब लोगों को खबर लगी की प्रधानमंत्री आ रहे हैं तो उन्होने बैरिकेड्स तोड़ दिए और भागने लगे। भेड़ बढ़ती गयी ओर लोग बाहर निकल ही नहीं पाए। इस ही स्थिति में भगदड़ मच गयी। हादसे में 800 से 1000 लोगों के मरने की खबर आयी। 2000 से ज्यादा लोग घायल भी हुए। इसके कुछ ही दिन बाद नेहरू ने सभा के दौरान इस हादसे को लेकर शोक भी व्यक्त किया था।

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