लोकसभा चुनाव चरम पर है, ऐसे में नामांकन की प्रक्रिया में अजीबों गरीब किस्से देखने को मिल रहे हैं। चुनाव लड़ने के लिए नेता अपने नामांकन की प्रतिक्रिया में लगे हुए हैं। कोई नेता फॉर्च्यूनर पर तो कोई किसी और लग्जरी गाड़ी से अपना नामांकन करने पहुंच रहे हैं, लेकिन बिहार के गोपालगंज जिले में एक नेता ऐसे भी जो गधे पर अपना नामांकन भरने पहुंचे। आपको ये सुनकर झटका तो जरूर लगा होगा लेकिन ये सच है। बिहार के गोपालगंज में एक अजीबों-गरीब नजारा देखने को मिला।निर्दलीय प्रत्याशी सत्येंद्र नामांकन फॉर्म जमा करने गधे पर बैठकर डीएम कार्यालय पहुंचे। नेता जी का यह रूप देख करआस-पास के लोग भी चकित हो गए और कुछ तो उनके साथ सेल्फी लेने भी पहुंच गए।
जब उनसे पूछा गया कि उन्होनें गधे पर बैठकर नामांकन क्यों भरा तो उनका कहना था कि, गोपालगंज के किसी नेता ने 30-40 साल में किसी भी तरह का कोई विकास नहीं किया है, बल्कि अपने घरों का ही विकास किया और जनता को गधा बनाने का काम किया इसलिए वो जनता को जागरूक करने के लिए गधे पर बैठकर नामांकन भरने पहुंचे हैं। बता दें कि निर्दलीय प्रत्याशी सत्येंद्र बैठा जिला परिषद के सदस्य हैं और गोपालगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामांकन करने पहुंचे थे। बैठा के अनुसार चुनाव जीतने के बाद नेता अगले 5 साल तक सत्ता में आय सांसद को मूर्ख और बेवकूफ बनाता रहता हैं, इसलिए वे गधे पर बैठकर निर्वाचन कार्यालय तक पहुंचे और अपना नामांकन फार्म रिटर्निंग ऑफिसर के पास जमा करा। सत्येंद्र बैठा ने गधे पर बैठकर रैली गोपालगंज में रैली भी निकाली।
जीतेंगे तो करेंगे यह काम गधे पर बैठे नेता जी ने किया वादा।
सत्येंद्र बैठा के नामांकन के दौरान उनके साथ उनके समर्थक भी मौजूद रहे। रैली के दौरान जहां से भी वह निकले तो लोग उनको देखते ही रह गए, क्योंकि उनका इस तरह से गधे पर बैठकर नामांकन फॉर्म जमा करना अब पूरे शहर में चर्चा का विषय बन चूका है और अब तो ये पुरे देश में ही चर्च का विषय है।उन्होंने बताया कि वो कई मुद्दों पर काम करना चाहते हैं और अपने क्षेत्र में सिर्फ विकास करना चाहता चाहते हैं। उन्होंने जनता से वादा किया है कि अगर वो चुनाव जीतेंगे तो चीनी मिल को सबसे पहले शुरू करवाया जायेगा। गोपालगंज में आयुर्वेदिक कॉलेज खुलवाएंगे, साथ ही सभी सड़कों को पीसीसी भी करवाएंगे। नेता जी ने जनता से निवेदन किया है कि वोट उसी को करें जो जनता के बीच रहे ना कि दिल्ली या पटना में रहने वाले नेताओं के।