Thursday, December 12, 2024

Sambhal Controversy: विष्णु शंकर जैन कौन है? ज्ञानवापी, अयोध्या से लेकर संभल जामा मस्जिद तक रहे बड़ा नाम

Sambhal Controversy: विष्णु शंकर जैन वरिष्ठ वकीलों में से एक है। हाल ही में संभल मस्जिद को लेकर जब पहली बार सर्वे किया गया था तो प्रशासन के साथ में विष्णु कुमार जैन भी मौजूद थे।

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हाल ही में कोर्ट में संभल की जामा मस्जिद को लेकर याचिका दायर की गयी है। संभल के हिन्दू समाज का दावा है कि ये मस्जिद एक समय पर श्री हरिहर मंदिर हुआ करती थी। इसके बाद से पूरे देश में एक बार फिर ये मंदिर-मस्जिद का विवाद चर्चा का विषय बन गया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु कुमार जैन ने 19 नवंबर को संभल के सिविल कोर्ट में दावा किया कि इस मस्जिद को श्री हरिहर मंदिर कहा जाता था। इस जगह को मुग़ल सम्राट बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर दिया था। और उनका कहना है कि ऐसा माना जाता है कि कल्कि अवतार संभल में ही इस मंदिर में हुआ था।

विष्णु कुमार जैन इस मस्जिद विवाद में दोनों बार एएसआई और प्रशासन के साथ सर्वे के दौरान मौजूद रहे। उन्होनें संभल में हुई हिंसा के वबारे में कहा कि भीड़ का असली निशाना तो सर्वे टीम थी। आपको बता दें करीबन ऐसे 110 मामलो में हरिशंकर और विष्णु जैन जुड़े हैं। आइये विष्णु जैन के बारे में जानते हैं।

कौन है विष्णु कुमार जैन

विष्णु कुमार जैन का जन्म 1986 में 9 अक्टूबर को हुआ था। उन्होनें 2010 में बालाजी लॉ कॉलेज से वकालत की डिग्री ली। उन्होनें अपने करीयर की शुरुआत ही विश्व प्रसिद्द अयोध्या राम मंदिर मामले से की। विष्णु की अयोध्या, ज्ञानवापी, ताजमहल और क़ुतुब मीनार जैसे मामलों में अहम भूमिका रही है। विष्णु और उनके पिता हरिशंकर जैन हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस, भगवा रक्षा वाहिनी, गोवा की सनातन संस्था, और हिन्दू साम्राज्य पार्टी जैसे कई हिंदुत्व की संस्थाओं से जुड़े हैं।

संभल हिंसा पर क्या बोले विष्णु जैन

Sambhal Controversy: संभल में हाल ही में हुई पत्थरबाजी को लेकर अभिवक्ता विष्णु कुमार जैन ने कहा कि “वहां एएसआइ का सर्वे कोर्ट के आदेशों पर हुआ था, इसके बाद वहां धीरे-धीरे भीड़ इकठ्ठा होने लगी। और एक समय के बाद नारेबाजी, हिंसा में बदल गयी। इसमें कई पुलिस अधिकारी घायल हुए लेकिन प्रशासन ने स्थिति को समझदारी से संभाला। यहां तक कि प्रशासन ने मुस्लिम पक्ष के पैरवी करने वालो वकीलों से भी शान्ति बनाये रखने की अपील की। लेकिन इसके बाद भी भीड़ ने हमला कर दिया। ये हमला एक सोची सांझी साजिश के तहत किया गया था, जिसके तहत स्थानीय लोगों को सर्वे टीम पर हमला करने के लिए उकसाया गया।

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