Saturday, November 23, 2024

Iran and Israel War: दोस्ती से दुश्मनी तक का ईरान और इजरायल का सफर


Iran and Israel War: आज एक दूसरे के जान के दुश्मन बने बैठे ईरान और इजरायल कभी एक दूसरे के दोस्त हुआ करते थे। क्या आपको पता है कि उनके बीच ऐसा क्या हुआ कि यह दोनों देश एक दूसरे के इतने बड़े दुश्मन बन गए हैं?

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एक तरफ जहां पूरी दुनिया रसस और यूक्रेन के बीच हो रही युद्ध को लेकर चिंता में है, तो वहीं अब दो और देश के बीच एक घमासान युद्ध चालू हो गया है। ईरान और इजरायल के बीच चल चल रहे युद्ध ने पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। मंगलवार यानी 1 अक्टूबर की रात ईरान इजरायल पर मिसाइल दाग दी। ईरान 180 से भी ज्यादा मिसाइल से इजरायल पर हमला किया।

ईरान की इस्लामी रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स, आईजीसी ने कहा कि यह हमला इस्माइल हानिया, हिज्बुल्लाह के हेड हसन नसरुल्लाह की मौत का जवाब है। दोनों देश लगातार एक दूसरे पर हमले करते जा रहे हैं। लेकिन एक जमाना ऐसा भी था जब यह दोनों देश एक दूसरे के अच्छे दोस्त हुआ करते थे। आईए जानते हैं कि इन दोनों देशों के बीच ऐसा क्या हुआ जो आज एक दूसरे के दुश्मन बने बैठे हैं।

कई सालों तक ईरान और इजरायल दोस्त थे

साल 1948 में इजरायल अस्तित्व में आया। डेविड बेन गुरियन इज़राइल के पहले प्रधानमंत्री थे। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हरी में इजरायल को राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी थी।
इसके 1 साल बाद 1949 में तुर्की ने इजरायल को मान्यता दी।
इसके बाद आज जो यह ईरान, इजरायल का वजूद मिटाने पर तुला है इसी इजरायल ने ईरान को भी मान्यता दी थी।इसके बाद दोनों देशों में सब कुछ सही चल रहा था। कोई दुश्मनी कोई हमला नहीं होता था। इतना ही नहीं जब इराक में सद्दाम हुसैन राजा थे तब उसने ईरान पर हमला करवाया तो उसे दौरान इजरायल ने ही ईरान को हथियार दिए थे।

कैसे हुई दुश्मनी

1979 मैं ईरान में इस्लामी क्रांति हुई। इसके बाद ईरान को इस्लामी राज्य घोषित कर दिया गया। अयातुल्लाह खोमेनी ने ईरान की कमान संभाली। इससे पहले ईरान में पहलवी राजवंश का शासन हुआ करता था, जिसे उसे समयअमेरिका का सहयोगी माना जाता था और यही वजह थी कि 1948ंजब इजरायल नया देश बना तो ईरान ने भी उसे मान्यता दी।

अयातुल्लाह खोमेनी की सरकार ने इजरायल को मारने से इनकार कर दिया था और देश के खिलाफ नफरत फैला दी थी में इजरायल और अमेरिका के खिलाफ नफरत फैला दी थी। उन्होंने अपने सारे रिश्ते इजरायल से तोड़ दिए थे। यहां तक की वहां के सिटीजंस का पासपोर्ट भी बैन कर दिया गया था। राजधानी तेहरान में इजरायली दूतावास को ज्बत कर फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी PLO को सौंप दिया गया और यही सेे इन दोनोंं देशोंं केे दुश्मनी की शुरुआत हुई।

परमाणु हथियार और वर्चस्व वी बिगाड़े रिश्ता

इजरायल और ईरान की दुश्मनी और बढ़ गई जब इस बात की खबर सामने आई की ईरान परमाणु हथियार डेवलप करने की कोशिश कर रहा है। इजरायल कभी भी ईरान को खुद से आगे बढ़ता नहीं देखना चाहता था। इजरायल कभी यह नहीं चाहता था कि किसी देश के पास परमाणु हथियार हो।

दोनों देशों में दुश्मनी, क्षेत्र में वर्चस्व को लेकर भी बढ़ी। क्षेत्र में सऊदी अरब की ताकत काफी ज्यादा थी ऐसे में ईरान ने खुद के वर्चस्व को बढ़ाने के लिए इजरायल के साथ दुश्मनी को और बढ़ा लिया। इससे भी पूरी दुनिया कोई संदेश देना चाहती थी कि मुसलमानों का सबसे बड़ा तैषी ईरान है। मुस्लिम हितों को साधने के चक्कर में इजरायल से ईरान की दुश्मनी बढ़ती चली गई।

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