Muslim population is increasing rapidly in Jharkhand: झारखंड के संथाल परगना में हो रहा जनसांख्यिकीय परिवर्तन इस समय राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। हाल में केंद्र सरकार ने इलाके में हो रहे जनसांख्यिकी बदलाव से संबंधित हाई कोर्ट में एक जवाब दाखिल किया जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए।
केंद्र सरकार द्वारा दिए गए जवाब से पता चला कि कैसे संथाल परगना के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा व जामताड़ा समेत 6 जिलों से 16 फीसदी (44% से 28%) जनजातीय समुदाय के लोग घटे हैं जबकि मुस्लिमों की आबादी में 13% की वृद्धि हुई है और दो जिले- साहिबगंज और पाकुड़ में तो इनकी संख्या 35% बढ़ी है।
घुसपैठ और धर्मांतरण डेमोग्राफी बदलाव का कारण
झारखंड में होते इस बदलाव के पीछे पलायन, घुसपैठ और धर्मांतरण को कारण माना जा रहा है। वहीं इसका समाधान सिर्फ और सिर्फ एनआरसी को कहा जा रहा है। पहले इस मामले में सोमा उरांव द्वारा जनहित याचिका के जरिए जनजातीय समुदाय के लोगों के धर्म परिवर्तन का मामला उठाया गया था। वहीं बाद में दानियाल दानिश ने जनहित के जरिए बांग्लादेशी घुसपैठियों के घुसने का मुद्दा उठाया था। इन लोगों की चिंता संथाल परगना में हो रहा डेमोग्राफिक बदलाव था। प्रार्थियों ने ये भी बताया था कि कैसे घुसपैठियों को प्रवेश देने के लिए इलाकों में सिंडिकेट काम कर रहा है जो उन्हें आधार कार्ड बनाकर देता है।
घुसपैठियों पर कार्रवाई के अधिकार राज्य सरकार के पास
केंद्र का कहना है कि राज्य में घुसने वाले घुसपैठियों के खिलाफ संविधान के तहत कार्रवाई के अधिकार राज्य सरकार को दिए गए हैं। इसके लिए एक समिति राज्य सरकार के पास है। अगर राज्य को भी इस बाबत सहायता चाहिए तो केंद्र देने को तैयार है। यह गंभीर मसला कोर्ट में पहुँचने के बाद छह जिलों के डिप्टी कमीशनर ने कोर्ट को बताया था कि उनके क्षेत्रों में घुसपैठ समस्या नहीं है। हालाँकि कोर्ट ने उन्हें आगाह कर दिया था कि अगर यह जानकारी झूठ निकली तो वो उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस चलाएंगे।
पूर्व CM ने जनता को किया आगाह
गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई कोर्ट में अब 17 सितंबर को होगी, लेकिन उससे पहले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को जनता के समक्ष उठाया है। उन्होंने 12 सितंबर को जामताड़ा के यज्ञ मैदान में जनआक्रोश रैली की। उन्होंने समझाया कि कैसे इस डेमोग्राफी बदलाव से सरकारी क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षित सीटों पर प्रभाव पड़ेगा। अगर क्षेत्र में आबादी कम होगी तो लोकसभा, विधानसभा, सरकारी नौकरी हर जगह आबादी कम होगी।