उत्तर प्रदेश के आगरा में सक्रिय एक धर्मांतरण गिरोह ने 2050 तक पूरे भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया था। पुलिस जांच में सामने आया कि गिरोह जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान तक फैला हुआ था और सोशल मीडिया के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय संपर्क बनाए रखता था।
पुलिस आयुक्त दीपक कुमार के अनुसार, इस गिरोह में जम्मू-कश्मीर के छात्र ‘स्लीपर सेल’ की भूमिका निभा रहे थे। इन छात्रों का कार्य हिंदू युवाओं को जाल में फँसाना था। उदाहरण के तौर पर, आगरा की दो सगी बहनों को जम्मू की छात्रा साइमा ने ‘दावा’ के ज़रिए फँसाया था।
‘दावा’ के नाम पर ब्रेनवॉश, फिर इस्लामी प्रचार
गिरोह की रणनीति हिंदू युवाओं से दोस्ती करने से शुरू होती थी। इसके बाद उन्हें ‘दावा’ नामक कार्यक्रम में बुलाया जाता था, जिसमें इस्लाम की खूबियाँ और हिंदू धर्म की कथित बुराइयाँ गिनाई जाती थीं। इस विचारधारा से प्रभावित होकर युवक-युवतियाँ इस्लाम अपनाने लगते थे।
इसके बाद इन युवाओं को पाकिस्तान के चरमपंथियों जैसे तनवीर अहमद और साहिल अदीम से जोड़ा जाता था। युवाओं को इस्लामी किताबें पढ़ाई जातीं और ऑनलाइन टेस्ट लिए जाते थे। एजेंसियों के अनुसार, इस प्रक्रिया के ज़रिए हिंदू युवतियों का मानसिक और वैचारिक रूपांतरण किया जाता था।
यूट्यूब चैनल से फंडिंग, फिलिस्तीन को भेजा जाता पैसा
धर्मांतरण गिरोह के सदस्य रहमान कुरैशी पर यूट्यूब चैनल के माध्यम से क्राउड फंडिंग का आरोप है। यह धन फिलिस्तीन को क्रिप्टोकरेंसी और डॉलर के माध्यम से भेजा जाता था। पुलिस इस अंतरराष्ट्रीय फंडिंग चैनल की जांच कर रही है।
अब तक इस गिरोह से जुड़े 14 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें से कई अलग-अलग राज्यों से पकड़े गए हैं, जिनमें गोवा, कोलकाता, जयपुर, दिल्ली, देहरादून और आगरा शामिल हैं।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और पाकिस्तान से संबंध
यह गिरोह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से जुड़ा हुआ था। पुलिस के अनुसार, इन्हें अमेरिका, कनाडा और UAE से भारी फंडिंग मिल रही थी।
आगरा की दो लापता बहनों की खोज के दौरान पुलिस को कोलकाता की मुस्लिम बस्ती में सफलता मिली। इसी रेस्क्यू ऑपरेशन से गिरोह का भंडाफोड़ हुआ और ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के तहत 10 आरोपियों को पकड़कर पूछताछ की गई।
गिरफ्तार लोगों की सूची
गिरफ्तार लोगों में आयशा उर्फ एसबी कृष्णा (गोवा), शेखर रॉय उर्फ अली हसन (कोलकाता), ओसामा (कोलकाता), रहमान कुरैशी (आगरा), अब्बू तालीब (मुजफ्फरनगर), अबुर रहमान (देहरादून), रित बानिक उर्फ इब्राहिम (कोलकाता), जुनैद कुरैशी (जयपुर), मुस्तफा उर्फ मनोज (दिल्ली), मोहम्मद अली (जयपुर), अब्दुल रहमान (दिल्ली), अब्दुल्ला (दिल्ली) और अब्दुल रहीम (दिल्ली) के नाम शामिल हैं।
इनमें से 11 को पुलिस कस्टडी रिमांड में भेजा गया है जबकि 3 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। गिरोह का सरगना अब्दुल रहमान दिल्ली से गिरफ्तार हुआ था।
पहले भी खुल चुके हैं कट्टरपंथी संबंध
इस मामले से जुड़ी अन्य खबरों में सामने आया कि गिरोह के तार बिलाल फिलिप्स, ज़ाकिर नाइक और उमर गौतम जैसे कट्टरपंथियों से भी जुड़े हैं। इनके समर्थकों ने उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर धर्मांतरण कराने की कोशिश की थी।
कुछ मामलों में युवतियों को ‘रिवर्ट’ नामक कोड से इस्लाम स्वीकार कराया जाता था। वहीं देहरादून की पीड़िता ने बताया कि कैसे फेसबुक के ज़रिए फँसाकर उन्हें तीसरी-चौथी बीवी बनने का लालच दिया जाता था।
विदेशी फंडिंग, फर्जी दस्तावेज और फँसाने की नई रणनीतियाँ
ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि ये गिरोह लड़कियों को फर्जी सिम कार्ड और फर्जी पहचान पत्र भी उपलब्ध कराता था, ताकि उनका पीछा न हो सके। शब्बीर अहमद जैसे आरोपी 100 रुपये के एफिडेविट पर जबरन हस्ताक्षर कराकर धर्मांतरण करवाते थे।
झारखंड, भोपाल, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से भी इसी तरह के मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जहाँ लड़कियों को नौकरी या शादी का झाँसा देकर फँसाया जाता है और बाद में इस्लाम कबूलने का दबाव बनाया जाता है।