देश को मिला 15वां उपराष्ट्रपति: भारत के संवैधानिक इतिहास में 12 सितंबर 2025 का दिन बेहद खास दर्ज हुआ। इस दिन देश को नया उपराष्ट्रपति मिला।
सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में उपराष्ट्रपति पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और
कई केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। शपथ ग्रहण समारोह में राजनीतिक, सामाजिक और संवैधानिक क्षेत्र से जुड़ी कई हस्तियां भी पहुंचीं।
इस पूरे आयोजन को एनडीए सरकार ने बेहद महत्वपूर्ण माना क्योंकि यह परिवर्तन अचानक हुए घटनाक्रम के बाद सामने आया था।
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देश को मिला 15वां उपराष्ट्रपति: 22 जुलाई को धनखड़ ने दिया इस्तीफा
देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 22 जुलाई को अचानक ही पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी।
विपक्ष लगातार यह सवाल उठा रहा था कि धनखड़ आखिर कहां हैं और किस स्थिति में हैं, क्योंकि इस्तीफे के बाद वह सार्वजनिक तौर पर कहीं दिखाई नहीं दिए। इसी वजह से जब सीपी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में जगदीप धनखड़ दिखाई दिए तो यह क्षण सभी के लिए खास बन गया।
वह पूर्व राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के साथ बैठे नजर आए और इस तरह उन्होंने अपनी सार्वजनिक उपस्थिति से विपक्ष के सवालों पर विराम लगा दिया।
समारोह में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और पूर्व राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी पहुंचे। उनके अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद थे।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी, झारखंड के नेता संतोष गंगवार और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया की उपस्थिति ने इस आयोजन को और व्यापक बना दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी से समारोह का राजनीतिक महत्व और बढ़ गया।
राजनीति में नई शुरुआत
सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना भारतीय राजनीति में एक नई शुरुआत का संकेत देता है। 9 सितंबर को हुए चुनाव में उन्होंने 452 वोट हासिल किए, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को केवल 300 वोट मिल सके।
यह जीत न सिर्फ संख्यात्मक रूप से बड़ी थी बल्कि इससे यह संदेश भी गया कि एनडीए ने विपक्ष की तुलना में ज्यादा मजबूत संगठनात्मक तैयारी की थी।
राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर लंबा और विविधतापूर्ण रहा है। उपराष्ट्रपति बनने से पहले वह महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और इससे पहले तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
तमिलनाडु से आने वाले नेता के रूप में उन्होंने दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका प्रशासनिक अनुभव और राजनीतिक समझ उन्हें इस ऊंचे संवैधानिक पद के लिए उपयुक्त साबित करता है।
एनडीए के सूत्रों के अनुसार शपथ ग्रहण का दिन और समय सावधानी से चुना गया। यह कहा गया कि मुहूर्त देखकर यह आयोजन तय किया गया
ताकि राधाकृष्णन का कार्यकाल शुभ संकेतों के साथ शुरू हो। भारतीय परंपरा और राजनीति का यह मेल समारोह को और भी खास बनाता है।
राधाकृष्णन का कार्यकाल कई मायनों में अहम
भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में राधाकृष्णन का कार्यकाल कई मायनों में अहम होने वाला है। उपराष्ट्रपति का संवैधानिक दायित्व केवल राज्यसभा की अध्यक्षता करना ही नहीं बल्कि संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाना भी है।
देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति में जहां विपक्ष और सरकार के बीच कई मुद्दों पर टकराव देखने को मिलता है, ऐसे समय में एक संतुलित और अनुभवी उपराष्ट्रपति की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।
सीपी राधाकृष्णन की शपथ से एक नई उम्मीद भी बंधी है कि आने वाले समय में संसदीय राजनीति और अधिक सार्थक और अनुशासित होगी। उनके नेतृत्व में राज्यसभा की कार्यवाही सुचारु रूप से चलेगी और लोकतांत्रिक परंपराओं को और मजबूती मिलेगी।
यह भी माना जा रहा है कि दक्षिण भारत से आने वाले नेता के रूप में वह क्षेत्रीय संतुलन को भी बेहतर करेंगे और केंद्र की राजनीति को अधिक समावेशी दिशा देंगे।
इस तरह 12 सितंबर का दिन न सिर्फ भारत को नया उपराष्ट्रपति देने वाला दिन बना बल्कि इसने राजनीतिक चर्चाओं को भी नया मोड़ दिया। विपक्ष के सवालों का जवाब जगदीप धनखड़ की मौजूदगी ने दे दिया,
वहीं राधाकृष्णन की जीत और शपथ ने एनडीए की राजनीतिक शक्ति को फिर से प्रदर्शित किया।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में वह अपनी भूमिका कैसे निभाते हैं और भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा देने में किस तरह योगदान करते हैं।