Thursday, October 16, 2025

वर्ल्ड स्पाइन डे: रीढ़ की हड्डी को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी, जानिए कैसे रखें इसका ख्याल

वर्ल्ड स्पाइन डे: इंसान के शरीर की पूरी संरचना का केंद्र अगर किसी चीज़ को कहा जाए तो वह है — रीढ़ की हड्डी। यही शरीर को सीधा खड़ा रखती है, चलने-फिरने, झुकने और मुड़ने जैसी हर गतिविधि को नियंत्रित करती है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

अगर यह कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाए, तो इंसान के लिए सामान्य जिंदगी जीना भी मुश्किल हो सकता है।

इसी महत्व को समझाने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को “वर्ल्ड स्पाइन डे” (World Spine Day) मनाया जाता है, ताकि लोग रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूक हों और अपनी स्पाइन हेल्थ का ध्यान रखें।

वर्ल्ड स्पाइन डे: रीढ़ की हड्डी क्यों है जरूरी

रीढ़ की हड्डी यानी स्पाइन, शरीर के स्ट्रक्चर को स्थिर रखती है और दिमाग से शरीर तक सिग्नल पहुंचाने का काम करती है। अगर इसमें जरा सी भी गड़बड़ी आ जाए, तो उसका असर सीधे शरीर की मूवमेंट, संतुलन और ताकत पर पड़ता है।

यही वजह है कि स्पाइन को “बॉडी की लाइफलाइन” कहा जाता है।

क्या रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद दोबारा जुड़ सकती है?

वर्ल्ड स्पाइन डे: यह सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है कि अगर रीढ़ की हड्डी टूट जाए तो क्या वह फिर से जुड़ सकती है? विशेषज्ञों के अनुसार — यह इस बात पर निर्भर करता है कि चोट कहां और कितनी गंभीर है।

अगर फ्रैक्चर मामूली है, तो आराम, फिजियोथेरेपी और दवाइयों से यह ठीक हो सकता है।

लेकिन अगर हड्डी के टुकड़े स्पाइनल कॉर्ड पर दबाव डालते हैं, तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है।

गंभीर स्थिति में जब स्पाइनल कॉर्ड को स्थायी नुकसान पहुंचता है, तब शरीर के निचले हिस्से में लकवा या स्थायी विकलांगता तक हो सकती है।

वर्ल्ड स्पाइन डे: रीढ़ की हड्डी से जुड़ी आम समस्याएँ

रीढ़ की हड्डी से संबंधित कई तरह की बीमारियाँ होती हैं, जिनमें सबसे आम हैं:

स्लिप डिस्क (Slip Disc): रीढ़ की हड्डी के बीच का कुशन बाहर निकल आता है, जिससे नसों पर दबाव पड़ता है और पीठ या पैर में तेज दर्द होता है।

स्पाइनल स्टेनोसिस (Spinal Stenosis): इसमें नसों की जगह संकरी हो जाती है, जिससे झुनझुनी, दर्द या कमजोरी महसूस होती है।

ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis): हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और मामूली चोट से भी टूट सकती हैं।

वर्ल्ड स्पाइन डे: स्पाइनल ट्यूमर (Spinal Tumor): यह सबसे गंभीर समस्या है, जो कई बार जानलेवा भी साबित होती है।

अक्सर लोग पीठ दर्द या गर्दन के दर्द को सामान्य थकान समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन लंबे समय तक गलत पोस्चर, झुककर काम करना, घंटों बैठे रहना या एक्सरसाइज की कमी रीढ़ की सेहत पर बुरा असर डालती है।

कैसे रखें स्पाइन को हेल्दी

वर्ल्ड स्पाइन डे: रीढ़ की हड्डी की देखभाल के लिए कुछ साधारण आदतें अपनाकर बड़ी परेशानियों से बचा जा सकता है:

सही पोस्चर अपनाएं — बैठते, खड़े होते और चलते वक्त शरीर को सीधा रखें।

नियमित एक्सरसाइज करें — रोज़ाना कम से कम 30 मिनट की हल्की फिजिकल एक्टिविटी स्पाइन को मजबूत बनाती है।

वजन कंट्रोल में रखें — अधिक वजन से स्पाइन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

सही गद्दा और कुर्सी का इस्तेमाल करें — ताकि पीठ को पूरा सपोर्ट मिले।

लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप पर झुककर न रहें — इससे गर्दन और कमर दोनों पर असर पड़ता है।

रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर की रीढ़ है — शाब्दिक और वास्तविक दोनों अर्थों में। इसे स्वस्थ रखना न सिर्फ शरीर के संतुलन के लिए जरूरी है, बल्कि एक सक्रिय और दर्दमुक्त जीवन के लिए भी उतना ही आवश्यक है।

- Advertisement -

More articles

- Advertisement -

Latest article