क्या वाक़ई आने वाले समय में चैटबॉक्स हमसे ज़्यादा समझदार हो जायेगा। ऐसा कहना है जेफ्री ई. हिंटन का जिन्हे गॉडफादर ऑफ़ एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) भी कहा जाता है।
जेफ्री ई. हिंटन: एआई के गॉडफादर
इस साल का फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार जेफ्री ई. हिंटन और जॉन जे. हॉपफील्ड को दिया गया है, जिन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जेफ्री हिंटन को एआई का गॉडफादर कहा जाता है। उन्होंने 2006 में डीप लर्निंग पर एक शोध पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने “डीप बिलीफ नेटवर्क” का कॉन्सेप्ट पेश किया। यह शोध एआई के लिए एक माइलस्टोन बना और मशीनों को डेटा के माध्यम से सीखने की क्षमता दी। हिंटन ने अपने छात्रों के साथ मिलकर एक ऐसा न्यूरल नेटवर्क विकसित किया, जो हजारों तस्वीरों का विश्लेषण करके कुत्तों, बिल्लियों और अन्य वस्तुओं की पहचान कर सकता था। उन्होंने 2012 में गूगल से जुड़कर एआई के विकास में योगदान दिया, लेकिन 2023 में गूगल छोड़कर एआई के संभावित खतरों के बारे में चेतावनी देने का निर्णय लिया।
जॉन जे. हॉपफील्ड: कृत्रिम नेटवर्क का विकास
जॉन हॉपफील्ड ने भौतिकी के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क का विकास किया। उन्होंने एसोसिएटिव मैमोरी की प्रक्रिया को समझाया, जो इंसानी मेमोरी की तरह जानकारी को प्रोसेस और रिट्राइव करती है। हॉपफील्ड ने नोड्स का एक कृत्रिम नेटवर्क बनाया, जो इंसानी सोच की नकल कर सकता है। 91 वर्ष की उम्र में उन्हें यह सम्मान मिला, जिससे वे सबसे उम्रदराज नोबेल विजेता बने।
आधुनिक तकनीकों का आधार
इन दोनों वैज्ञानिकों के योगदान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नया आयाम दिया है, जिससे आधुनिक तकनीकों जैसे चैटजीपीटी का विकास संभव हो पाया है। उनका काम भविष्य की तकनीकी विकास में मार्गदर्शक साबित होगा, और आने वाले समय में एआई के प्रयोग के कई नए अवसर उत्पन्न करेगा। इनकी खोजों ने न केवल विज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि समाज में भी बदलाव लाने की क्षमता रखी है।