Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में कौए का बहुत महत्व होता है। ऐसा मन जाता है कि जब तक कौवे श्राद्ध का भोजन ना करले तब तक पितरों की आत्मा को संतुष्टी नहीं मिलती। जानें ऐसा क्यों?
इस साल पितृ पक्ष 17 अक्टूबर से लेकर 2 अक्टूबर तक मनाये जायेंगे।इन दिनों तर्पण, पिंडदान और दान पुण्य कर पितरों को संतुष्ट किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष पूर्वजों के ऋण चुकाने का समय होता है और इसमें पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध किया जाए तो सालभर सुख-समृद्धि बनी रहती है।
ग्रंथों में श्राद्ध के दौरान कौवे का विशेष महत्व बताया गया है। इसमें पितरों के लिए बनाया गए भोजन में से पंचबली भोग निकाला जरुरी है, जो कौए, गाय, कुत्ते, चींटि और देवों का भोग होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि श्राद्ध का भोजन कौवे को ही क्यों खिलाया जाता है, आइए बताते है :
क्यों कौवे को खिलाते है श्राद्ध का भोजन ?
गरुड़ पुराण के अनुसार कौवे को यमराज का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि अगर कौवा श्राद्ध के भोजन को ग्रहण कर लें तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और पितरों की आत्मा तृप्त हो जाती है।
यम से मिला था वरदान
गरुड़ पुराण के अनुसार कौवे को यमराज से वरदान मिला था कि कौए को खिलाया गया भोजन पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करेगा। जो भी व्यक्ति कौवे को अन्न प्रदान करेगा, उसके पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होगी। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि श्राद्ध के बाद कौए को भोजन कराना उतना ही जरूरी है जितना की ब्राह्मण भोज होता है।
कौवा देता है संकेत
पितृ पक्ष के दौरान कौवे के द्वारा दिए गए कुछ संकेतो को शुभ संकेत मन गया है , जैसे अगर वो घर के आंगन में आकर बैठ जाए तो इसे अच्छा संकेत माना जाता है। इसके अलावा अगर कौवा आपका दिया हुआ भोजन कर ले तो यह बहुत शुभ होता है। इसका अर्थ होता है कि आपके पितृ आपसे बेहद प्रसन्न हैं।
यहां लिखी सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि रिपोर्ट भारत किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।