अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी सरकार के एहम पदों पर नियुक्ति कर रहे है। जिसमे अबतक 12 मंत्री बनाये जा चुके है। जिसमे से एक है तुलसी गबार्ड जिन्हे नेशनल इंटेलिजेंस के DIRECTER की जिम्मेदारी दी गयी है। ट्रम्प के इस फैसले से सभी हैरान है क्योकि तुलसी को ख़ुफ़िया विभाग में काम करने का कोई अनुभव नहीं है । बता दें कि, तुलसी का भारत से भले ही कोई नाता नहीं हैं मगर वो अपनी माँ की तरह ही हिन्दू धर्म को मानती है। हालाँकि कई लोगों में यह चर्चा है की तुलसी भारत वंशी है मगर ऐसा नहीं है। उनका जन्म एक अमेरिकी परिवार में हुआ था और उनके पिता कैथोलिक थे वही माता भी ईसाई थी। मगर उनकी माता ने हिन्दू धर्म अपना लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपने बच्चो का नाम भी हिन्दू धर्म के अनुसार ही रखा। तुलसी बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिन्दुओ के ऊपर हो रहे अत्याचार पर आवाज उठाती है और उनकी बहुत बड़ी सपोर्टर रही है। इतना ही नहीं बल्कि तुलसी, मंदिर जाती है,राम कृष्णा के भजन गाती है, यहाँ तक की जब उन्होंने संसद में इस पद की शपथ ली थी तब भी भगवत गीता पर हाथ रखकर ली थी।
क्या है तुलसी का राजनितिक सफर ?
गबार्ड ने महज 21 साल की उम्र में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह चार बार डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद रह चुकी हैं। तुलसी, जो एक दशक पहले इराक युद्ध में लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर हिस्सा ले चुकी थीं और अमेरिकी आर्मी रेज़र्विस्ट भी रही हैं, ने हाल ही में रिपब्लिकन पार्टी का दामन थाम लिया। अक्टूबर 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी। उनका कहना था कि यह पार्टी कुछ चुनिंदा लोगों के प्रभाव में है और अक्सर युद्ध का समर्थन करती है।
2016 में वह डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं और 2020 में भी उन्होंने प्राइमरी चुनाव में हिस्सा लिया, हालांकि बाद में जो बिडेन का समर्थन किया। पार्टी छोड़ने के बाद उन्होंने फॉक्स न्यूज़ से जुड़कर कई शो होस्ट किए और 2022 के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया, जिससे बाद उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ज्वाइन करली।
अमेरिकी संसद में रहते हुए तुलसी ने ओबामा और बिडेन प्रशासन की नीतियों की जमकर आलोचना की। वह मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भी कड़ी आलोचक रही हैं। 2019 में राष्ट्रपति पद की दौड़ के दौरान एक डिबेट में तुलसी ने कमला हैरिस को कड़े सवालों में घेर लिया था, जिससे वह सुर्खियों में आईं। यही वजह थी की 10 सितंबर 2022 को डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस की राष्ट्रपति बहस में भी ट्रंप ने अपनी तैयारी के लिए तुलसी गबार्ड की मदद ली।