कार्तिक के महीने में भगवान विष्णु जिन्हे जगत का पालनहार मानते है और मां लक्ष्मी जो धन की देवी है, उनकी पूजा अर्चना की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक पूर्णिमा का पावन त्यौहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन अन्न धन वस्त्र का दान और ईश्वर की उपासना करने से जातक के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इसके साथ ही गंगा स्नान और दान करने की भी परंपरा है । धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। कार्तिक माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा और देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर कार्तिक पूर्णिमा का पर्व मनाया क्यों जाता है? अगर नहीं पता, तो चलिए जानते है इसके पीछे कि वजह।
यह है वजह
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके भव्य स्वागत के लिए दीपक जलाएं जाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का संहार किया था, क्योंकि राक्षस ने तीनों लोकों पर आतंक मचा रखा था। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन गुरू नानक जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और ध्यान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के सभी पापों का नाश होता है।
कार्तिक पूर्णिमा का मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 19 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 16 नवंबर को देर रात्रि को 02 बजकर 58 मिनट पर होगा। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व 15 नवंबर को मनाया जायेगा।