Wednesday, December 24, 2025

क्या है मोबाइल व्रत, जो बच्चो में ला रहा है पॉजिटिव बदलाव ?

MOBILE ADDICTION OF CHILDREN: बच्चो में मोबाइल के इस्तेमाल की वजह से कई बीमारियां और परेशानिया हो रही है। इसीलिए इनसे निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक मोबाइल व्रत का कांसेप्ट लाये है। मगर यह है क्या और इससे क्या फायदे होंगे, इसके बारे में हम आपको यहाँ बताएँगे।

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क्या बड़े क्या बच्चे,आज कल सभी पूरा दिन मोबाइल में लगे रहते है। जिसकी वजह से कई नुकसान भी हो रहे है। मगर इसका सबसे ज़्यादा नुकसान बच्चो को हो रहा है। मोबाइल का ज़्यादा इस्तेमाल करने की वजह से बच्चो का पढाई में मन नहीं लग रहा है और अछि नींद लेने के बावजूद भी वो सुस्त नज़र आते है। इन परेशानियों से बच्चो को बचाने के लिए, पेरेंट्स को एक ही कुछ कदम उठाने होंगे।

इसी को लेकर,मनोवेज्ञानिक मोबाइल व्रत का concept लाये है। जिसमे बच्चो को हफ्ते में एक दिन या हर दिन कुछ तय घंटो के लिए फ़ोन से दूर रखना होता है। इस दौरान हो सके तो पेरेंट्स भी फ़ोन से दुरी बना के रखें और एक दूसरे के साथ वक़्त बिताये।

बता दें की राजस्थान के कोटा,उदयपुर और डूंगरपुर के कई गांवों में शाम 7 बजे के बाद बच्चो को मोबाइल इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता है।इसके अलावा महाराष्ट्र के अहिल्यनगर जिले में भी बच्चे मोबाइल व्रत रखते है। यहाँ तक की इस गांव में गली देने पर भी जुर्माला लगता है। इसी के साथ शिक्षानगरी जैसे कोटा और सीकर के कई इंस्टीटूशन में स्टूडेंट्स को मोबाइल से दूर रखने के लिए उन्हें हफ्ते में एक दिन लैंडलाइन या की-पैड वाले फ़ोन दिए जाते है। इस तकनीक से बच्चो में काफी अच्छे बदलाव देखने को मिल रहे है।

विदेशो में सख्त कानून

MOBILE ADDICTION OF CHILDREN: ऑस्ट्रेलिया,फ्रांस,जर्मनी,बेल्जियम,इटली,निथरलैंड,नॉर्वे,ब्रिटैन,आयरलैंड,कनाडा जैसे कई देशो में बच्चो के सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर सख्त कानून है। यहाँ तक की स्वीडन में दो साल से कम उम्र के बच्चो मोबाइल को हाथ भी नहीं लगा सकते है। वहीँ 12 साल तक के बच्चो के लिए स्क्रीन टाइम तय है। वहीँ ऑस्ट्रेलिया और फ्लोरिडा में 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं कर सकते है। मगर भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है,जिसकी वजह से हमारे देश में हर दूसरा बच्चा रील्स बनता दिख जाता है।

क्या है नुकसान

ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट के अनुसार मोबाइल फोन की वजह से बच्चे डिप्रेशन का शिकार हो रहे है। वहीँ उन्हें मानसिक रूप से भी कमजोर कर रहा है जिसकी वजह से वो सोशल डिस्टेंस का भी शिकार हो रहे है। इसके साथ है उनमे भूलने की समस्या और नींद की हो सकती है।

Karnika Pandey
Karnika Pandeyhttps://reportbharathindi.com/
“This is Karnika Pandey, a Senior Journalist with over 3 years of experience in the media industry. She covers politics, lifestyle, entertainment, and compelling life stories with clarity and depth. Known for sharp analysis and impactful storytelling, she brings credibility, balance, and a strong editorial voice to every piece she writes.”
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