क्या आप जानते है हेलीकाप्टर पेरेंटिंग के बारे में। आजकल पेरेंट्स और बच्चों के बीच हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग काफी चर्चा में है। मगर क्या इससे बच्चो पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
आज कल के बदलते ज़माने में पेरेंटिंग का तरीका भी काफी बदल चुका है। अब पहले की तरह माँ बाप अपने बच्चो को हर बात पर दांत या मार नहीं सकते। बल्कि आज का ज़माना जेंटल पेरेंटिंग का है। एक बच्चे का अपने पेरेंट्स के साथ बहुत गहरा रिश्ता होता है। इस रिश्ते में प्यार,दुलार,फटकार, चिंता, मस्ती-मजाक सब होता है। लेकिन कई बार माता-पिता अपने बच्चों के जीवन में जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप करते हैं, जो बच्चो पर बुरा प्रभाव दाल सकता है । जिसे हेलीकाप्टर पेरेंटिंग कहा जाता है।
क्या है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग ?
हर माँ बाप अपने बच्चो को अच्छी परवरिश देना चाहते हैं, और उन्हें मुश्किलों से दूर रखने की हर मुमकिन कोशिश करते है। ताकि उनका बच्चा समझदार बने। ऐसे में कुछ पेरेंट्स अपने बच्चों की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी कर देते हैं। उनकी यह आदत हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के अंदर आती है। जब पेरेंट्स अपने बच्चों की जिंदगी में दखलअंदाजी करते हैं और हर वक्त अपने बच्चों के आगे पीछे घूमते रहते है,उसे हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग कहते है। इतना ही नहीं बल्कि कई बार पेरेंट्स अपने बच्चों की हर छोटी बड़ी बात का फैसला खुद ले लेते हैं और उनकी समस्या का समाधान भी खुद कर देते हैं। ऐसा करने से बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण पड़ सकता है बुरा प्रभाव
हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के कारण बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो सकती है जिसकी वजह से वो खुद अपने निर्णय नहीं ले पाते है। यही नहीं किसी भी परेशानी में पड़ने पर वह उस समस्या का हल नहीं निकाल पाते है। कई बार तो बच्चा तनाव और प्रेशर से भी जूझ रहा होता है।
इसीलिए हर पेरेंट्स को बच्चों को खुद के निर्णय लेने की आज़ादी देनी चाहिए। इससे बच्चा काफी कुछ सीखता है और आत्मविश्वास से भरपूर बनता है।