डिजिटल हाउस अरेस्ट – साइबर अपराध का एक नया रूप – इसमें पीड़ितों को धोखा देने के लिए उनके घरों में फंसाना शामिल है, जहां अपराधी ऑडियो या वीडियो कॉल करके और कानून प्रवर्तन का प्रतिरूपण करके भय पैदा करते हैं।
इस डिजिटल दुनिया में अपराधियों ने निर्दोष व्यक्तियों से पैसे ऐंठने के नए तरीके भी खोज लिए हैं। इसके लिए उनकी नई रणनीति को ‘डिजिटल हाउस अरेस्ट’ के नाम से जाना जाता है।
इसमें घोटालेबाज, पुलिस या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एजेंट या सीमा शुल्क अधिकारियों जैसे कानून प्रवर्तन अधिकारी होने का दिखावा करते हैं । पीड़ितों से संपर्क करते हैं और उन्हें अपने घरों के भीतर ही सीमित रहने के लिए मजबूर करते हैं। हाल ही में बड़ी संख्या में ऐसी ही घटनाएं सामने आई हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह खुलासा हुआ है कि केवल वर्ष 2023 में ही भारत में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी देखी गई। पिछले एक दशक में, भारतीय बैंकों ने धोखाधड़ी के 65,017 मामले दर्ज किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुल 4.69 ट्रिलियन रुपये का नुकसान हुआ है।
डिजिटल हाउस अरेस्ट क्या है?
डिजिटल हाउस अरेस्ट में अपराधी पीड़ितों को उनके घरों में बंधक बनाकर ठगी करते है। इसके लिए वो AI जनरेटेड आवाज़ का इस्तेमाल करते है और खुद को पुलिस या CBI या अफसर बताते है। इसके बाद वो पीड़ितों से झूठ बोलते है की उनके आधार या मोबाइल नंबर से गैर कानूनी काम किया गया है और उन्हें गिरफ़्तारी की धमकी देते है। मामले को रफा दफा करने के लिए पीड़ित से पैसे मांगते है और उन्हें वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिये जुड़े रहने के लिए मजबूर भी करते है। नाटक की हद तो इतनी की यह नकली पुलिस स्टेशन बना कर और सरकारी वर्दी पहन कर सामने वाले को गिरफ्तार करने का ड्रामा भी करते है।
इस घोटाले से कैसे बचें?
यदि आपको भी ऐसी ही कोई कॉल या संदेश मिलता है, तो इसकी सूचना अधिकारियों को दें। सरकार ने साइबर और ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया है। लोग ऐसी घटना की रिपोर्ट साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या http://www.cybercrime.gov.in पर भी कर सकते हैं।