Sunday, November 24, 2024

West Bengal: नहीं मानूंगी… मुस्लिम आरक्षण पर कोर्ट के फैसले को ममता का ‘चैलेंज’, शाह ने किया पलटवार

West Bengal OBC Reservation Cancel: कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 37 वर्गों को दिए गए ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) आरक्षण रद्द क्या किया, सीएम ममता बनर्जी बगावत पर उतर आईं। सीएम बनर्जी अदालत के फैसले को मानने को ही तैयार नहीं है। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि ओबीसी दर्जा रद्द करने और ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने का अदालत का फैसला उनको स्वीकार्य नहीं है। दमदम लोकसभा क्षेत्र के खड़दह में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी के तेवर काफी आक्रामक रहे। बता दें कि कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले से बंगाल में मुस्लिमों के करीब 5 लाख OBC सर्टिफिकेट रद्द होंगे।

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OBC आरक्षण पर ममता बनर्जी के सख्त तेवर

ममता दीदी ने हाई कोर्ट के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का संकेत दिया। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण जारी रहेगा, क्योंकि इससे संबंधित विधेयक संविधान की रूपरेखा के भीतर पारित किया गया था। ममता बनर्जी ने कहा, ” सरकार ने घर-घर सर्वेक्षण करने के बाद विधेयक बनाया था और उसे मंत्रिमंडल और विधानसभा ने पारित किया था। जरूरत पड़ने पर वह इस आदेश के खिलाफ ऊपरी अदालत तक जाएंगी।”

अमित शाह का ममता दीदी पर पलटवार

इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को ममता बनर्जी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और घुसपैठियों को राज्य की जनसांख्यिकी बदलने की अनुमति देकर ‘पाप करने का’ आरोप लगाया। शाह ने यहां तक कह दिया कि बंगाल में बीजेपी के 30 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस बिखर जाएगी और ममता बनर्जी सरकार की विदाई हो जाएगी।
शाह ने कहा, “बंगाल घुसपैठियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बन गया है. घुसपैठ की वजह से राज्य की जनसांख्यिकी बदल रही है, जिसका असर न केवल बंगाल बल्कि पूरे देश पर पड़ रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि घुसपैठिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का वोट बैंक हैं।

क्या है OBC आरक्षण रद्द करने का मामला?

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में कई वर्गों को दिया गया ओबीसी का दर्जा रद्द कर दिया। साथ साल 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि राज्य में सेवाओं और पदों में रिक्तियों में 2012 के एक अधिनियम के तहत ऐसा आरक्षण गैरकानूनी है। हाई कोर्ट ने अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य अगर पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी।

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