West Bengal News: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा के दिग्गज नेता दिलीप घोष के बीच हाल ही में एक मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद से एक बार फिर सियासी गलियारों में बड़ी उथल-पुथल की संभावनाएं उठने लगी हैं। यह भी कहा जा रहा है कि यह मुलाकात दिलीप घोष की भाजपा से नाराजगी का नतीजा है। दरअसल, भाजपा ने लोकसभा चुनाव में दिलीप घोष की सीट बदल दी थी, जिसके बाद उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से दिलीप घोष ने इस पर नाराजगी भी जाहिर की थी। हालांकि अब ममता बनर्जी और दिलीप घोष के बीच हुई इस बैठक के क्या मायने हैं, आइये जानते हैं।
विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने की अटकलें
बीते बुधवार को भाजपा नेता दिलीप घोष ने सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की। हालांकि यह मुलाकात अनौपचारिक थी, लेकिन इस मुलाकात के बाद से ही तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। इससे पहले दिलीप घोष ने अपनी पत्नी रिंकू मजूमदार के साथ दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन भी किया। मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में दिलीप घोष का स्वागत राज्य सरकार के मंत्री अरूप विश्वास और टीएमसी नेता कुणाल घोष ने किया था। दोनों नेताओं के बीच मुलाकात के बाद से यह अटकलें तेज हो गईं है कि दिलीप घोष 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी छोड़ सकते हैं।
जानें दिलीप घोष ने इस पर क्या दी सफाई?
दिलीप घोष ने टीएमसी में शामिल होने की सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए सफाई भी पेश की। उन्होंने गुरुवार को कहा कि वह दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन गए थे। दिलीप घोष ने कहा कि सरकार ने उन्हें आधिकारिक तौर पर आमंत्रित किया था और यही कारण है कि मैं यहां आया हूं। उनकी पार्टी ने किसी को भी वहां जाने से नहीं रोका था। वहीं जब दिलीप घोष से पूछा गया कि क्या वह टीएमसी में शामिल हो सकते हैं? इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछले 10 वर्षों में नहीं बदला हूं, मैंने अपनी पार्टी नहीं बदली है जैसे कई लोग चुनाव आने पर पाला बदल लेते हैं। दिलीप घोष को पाला बदलने की जरूरत नहीं है।’’
दिलीप घोष की भाजपा से नाराजगी की वजह?
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने दिलीप घोष की सीट बदल दी थी। मेदिनीपुर से 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने वाले पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बर्धमान-दुर्गापुर सीट से टिकट दे दिया था। हालांकि इस सीट पर दिलीप घोष को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में दिलीप घोष, टीएमसी के कीर्ति आजाद से लगभग 1.38 लाख वोट से हार गए। इस हार के बाद से दिलीप घोष ने सार्वजनिक तौर पर यह कह दिया कि उन्हें मेदिनीपुर लोकसभा क्षेत्र के बजाय बर्धमान-दुर्गापुर से टिकट दिया जाना पार्टी नेतृत्व की एक गलती थी। दिलीप घोष ने कहा, “यह बहुत ही हैरान करने वाला है कि कमजोर सीट पर जीत की योजना बनाने के बजाय, जाहिर तौर पर हम कुछ और कर रहे हैं और कुछ जीतने योग्य सीट हार रहे हैं। यह तर्क से परे है।”