West Africa: पश्चिम अफ्रीकी देश माली एक बार फिर वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। इस बार मामला सीधे तौर पर भारत से जुड़ा है। माली में कार्यरत तीन भारतीय नागरिकों का 1 जुलाई को सशस्त्र आतंकियों द्वारा अपहरण कर लिया गया, जिससे भारत सरकार ने गहरी चिंता जताई है।
ये तीनों कर्मचारी माली स्थित ‘डायमंड सीमेंट फैक्ट्री’ में कार्यरत थे और जब आतंकियों ने फैक्ट्री पर हमला किया, तब इन्हें बंधक बना लिया गया।
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West Africa: तीन भारतीय अगवा
उसी दिन माली के पश्चिमी और मध्य हिस्सों में आतंकियों ने कई सैन्य और सरकारी ठिकानों को भी निशाना बनाया। इन हमलों की जिम्मेदारी अल-कायदा से जुड़े आतंकी संगठन जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन (JNIM) ने ली है।
हालांकि, अपहरण की स्पष्ट जिम्मेदारी अभी तक किसी संगठन ने नहीं ली है। इसके बावजूद घटना का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस्लामी चरमपंथी संगठन माली में किस कदर सक्रिय हैं और कैसे उन्होंने अस्थिरता का माहौल बना रखा है।
माली में ईस्लामी चरमपंथी फैला रहे पैर
दरअसल, माली पिछले कुछ वर्षों से इस्लामी आतंकवाद की गिरफ्त में है। अल-कायदा से जुड़े जेएनआईएम और इस्लामिक स्टेट के साहेल प्रांत जैसे संगठन यहां तेजी से अपनी जड़ें फैला चुके हैं। इन संगठनों ने अपहरण और फिरौती को अपनी रणनीतिक गतिविधियों का हिस्सा बना लिया है।
माली धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय अपहरण और आतंक से जुड़ी गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है, जिससे वहां काम कर रहे विदेशी नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं।
भारत ने घटना को लिया गंभीरता से
भारत सरकार ने इस घटना को अत्यंत गंभीरता से लिया है। विदेश मंत्रालय ने 2 जुलाई को जारी बयान में इस पूरे प्रकरण को “निंदनीय और हिंसक कृत्य” करार दिया। भारत ने माली सरकार से अपहृत नागरिकों की सुरक्षित और शीघ्र रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा।
नागरिकों को सर्तक रहने की सलाह
बमाको स्थित भारतीय दूतावास इस पूरी घटना पर नजर बनाए हुए है। दूतावास ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर बचाव की दिशा में पहल की है और साथ ही अपहृत नागरिकों के परिजनों से भी लगातार संपर्क बनाए रखा है। भारत सरकार माली में कार्यरत सभी भारतीयों को सतर्क रहने की सलाह दे चुकी है।
भारतीयों की सुरक्षा महत्वपूर्ण
यह घटना केवल तीन भारतीयों के अपहरण की नहीं है, बल्कि यह उस व्यापक खतरे का संकेत है जो अब वैश्विक स्वरूप ले चुका है। माली में इस्लामी आतंकवाद का बढ़ता प्रभाव न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।
भारत सरकार का कड़ा रुख और कूटनीतिक सक्रियता यह संकेत देती है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी।