Water Birth delivery: बच्चे के जन्म की बात आती है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में दो ही तरीके आते हैं वेजाइनल डिलीवरी जिसे हम नार्मल डिलीवरी भी कहते है और दूसरी डिलीवरी सी-सेक्शन, लेकिन अब धीरे-धीरे एक और तरीका सामने आ रहा है,
जिसे वॉटर बर्थ कहा जाता है। इसमें गर्भवती महिला गर्म पानी से भरे टब या पूल में बच्चे को जन्म देती है।
हाल ही में एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन ने भी अपने इंटरव्यू में इस तकनीक का जिक्र करते हुए कहा कि पानी में डिलीवरी शरीर को सहज बनाती है और नैचुरल बर्थ का अनुभव और भी आसान हो जाता है।
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Water Birth delivery: वॉटर बर्थ को बेहद आरामदायक और रिलैक्सिंग
कल्कि ने बताया कि उन्होंने वॉटर बर्थ को बेहद आरामदायक और रिलैक्सिंग पाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस तकनीक पर कई रिसर्च की गई हैं, जिनमें मां और बच्चे दोनों के लिए फायदे सामने आए हैं।
लेकिन यह सिर्फ एक्ट्रेस की राय नहीं है, बल्कि डॉक्टर भी इसके लाभ बताते हैं। गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपिका अग्रवाल के अनुसार, पानी में बच्चा पैदा करने की तकनीक कई मामलों में महिलाओं के लिए लाभकारी साबित हो सकती है।
गर्म पानी में रहती है गर्भवती महिला
दरअसल, वॉटर बर्थ के दौरान गर्भवती महिला गर्म पानी में रहती है। यह पानी एपिड्यूरल (डिलीवरी के दौरान दी जाने वाली दर्दनिवारक दवा) जैसा असर करता है। इससे मांसपेशियां ढीली होती हैं, शरीर रिलैक्स रहता है और संकुचन का दर्द कम महसूस होता है।
यही वजह है कि महिलाएं बिना ज्यादा दवा लिए नैचुरल तरीके से प्रसव की प्रक्रिया को सहन कर पाती हैं। इसके अलावा पानी शरीर में तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन को भी कम करता है और सांसों पर बेहतर नियंत्रण देता है।
यही कारण है कि डिलीवरी के वक्त महिला ज्यादा शांत और आत्मविश्वास से भरी हुई महसूस करती है।
बॉडी पर होता है फुल कंट्रोल
एक और खासियत यह है कि पानी मां के शरीर के वजन को सहारा देता है। इससे महिला को लेबर के दौरान हिलने-डुलने में आसानी होती है और वे अपनी सुविधा के अनुसार पोजीशन बदल सकती हैं।
कई महिलाओं का तो यह भी कहना है कि वॉटर बर्थ के दौरान उन्हें ज्यादा प्राइवेसी मिलती है और अपने शरीर पर बेहतर कंट्रोल महसूस होता है। यह सब उनके आत्मविश्वास को और बढ़ाता है।
पानी में रहने से शरीर के ऊतक मुलायम हो जाते हैं और खिंचाव कम होता है। इस वजह से डिलीवरी के दौरान एपिसियोटॉमी (योनि में दिया जाने वाला कट) की जरूरत भी कम पड़ती है।
कई शोध बताते हैं कि वॉटर बर्थ से मेडिकल इंटरवेंशन जैसे एपिड्यूरल, लेबर बढ़ाने वाली दवाओं और अन्य प्रक्रियाओं की आवश्यकता भी घट सकती है।
बच्चे को बाहर की दुनिया में तालमेल बिठान में आसानी
जहां तक बच्चे की बात है, तो वॉटर बर्थ उनके लिए भी सहज होता है। गर्भ में बच्चा पहले से ही एम्नियोटिक फ्लूइड (गर्म पानी) में रहता है। ऐसे में जब वह पानी में जन्म लेता है तो उसे बाहरी दुनिया से तालमेल बैठाने में आसानी होती है।
इससे मां और बच्चे का स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट भी जल्दी हो जाता है, जो आपसी जुड़ाव और स्तनपान में मदद करता है। कुछ स्टडीज में तो यहां तक पाया गया है कि वॉटर बर्थ से जन्म लेने वाले बच्चों का एपगार स्कोर अच्छा होता है और उनकी देखभाल आसान हो जाती है।
मिथ या सच
हालांकि लोगों के मन में कुछ भ्रांतियां भी हैं। जैसे, कई बार कहा जाता है कि वॉटर बर्थ में संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर साफ-सफाई और हाइजीन का ठीक से ध्यान रखा जाए तो यह खतरा सामान्य डिलीवरी जितना ही होता है।
एक और मिथ है कि वॉटर बर्थ दर्दरहित होता है, लेकिन सच यह है कि पानी सिर्फ असुविधा और दर्द को कम करता है, इसे पूरी तरह खत्म नहीं करता।