वेनेजुएला: लैटिन अमेरिका का तेल समृद्ध देश वेनेजुएला इन दिनों दो कारणों से दुनिया भर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
पहला वहां की प्रमुख विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है,
दूसरा देश की अर्थव्यवस्था और मुद्रा व्यवस्था आज दुनिया की सबसे चरम आर्थिक स्थितियों में गिनी जा रही है।
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वेनेजुएला: लोकतंत्र की प्रतीक बनीं मारिया कोरिना मचाडो
नोबेल समिति ने घोषणा की कि मचाडो को यह पुरस्कार लोकतांत्रिक अधिकारों को मजबूत करने और तानाशाही शासन से शांतिपूर्ण परिवर्तन के प्रयासों के लिए दिया गया है।
वेनेजुएला में वर्षों से जारी अधिनायकवादी शासन के खिलाफ मचाडो ने लगातार संघर्ष किया, राजनीतिक दबावों और धमकियों के बावजूद उन्होंने नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाई।
नोबेल समिति ने उन्हें “शांतिपूर्ण प्रतिरोध की वैश्विक प्रतीक” बताया।
मारिया मचाडो लंबे समय से वेनेजुएला की सरकार की नीतियों की मुखर आलोचक रही हैं।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपने देश में हो रहे दमन और आर्थिक अव्यवस्था की ओर ध्यान आकर्षित किया।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पुरस्कार वेनेजुएला की जनता के लोकतांत्रिक संघर्ष को वैश्विक मान्यता देता है।
आर्थिक संकट और दुनिया की सबसे ‘महंगी’ करेंसी
दूसरी ओर, वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। देश में हाइपरइन्फ्लेशन (Hyperinflation) की स्थिति इतनी भयावह हो गई कि सरकार को इतिहास का सबसे बड़ा करेंसी नोट छापना पड़ा।
अक्टूबर 2021 में वेनेजुएला ने 1 लाख बोलिवर (100,000 Bolivar) का नोट जारी किया था, जो दुनिया के सबसे ऊँचे मूल्य वाले नोटों में से एक है।
हालांकि, नोट का मूल्य जितना बड़ा है, उसकी खरीद शक्ति उतनी ही कमजोर है। भारतीय मुद्रा में देखें तो इस नोट की कीमत लगभग ₹3 अरब 15 करोड़ से अधिक होती है,
लेकिन वास्तविकता यह है कि इतनी भारी रकम के नोट से वहां केवल रोजमर्रा की कुछ ज़रूरी चीजें ही खरीदी जा सकती हैं।
मौजूदा समय में 1 भारतीय रुपये की कीमत करीब 2,17,474 बोलिवर है यह स्थिति किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए चरम पतन का उदाहरण मानी जाती है।
इतना बड़ा नोट छापने की नौबत क्यों आई?
2014 के बाद तेल की कीमतों में गिरावट, भ्रष्टाचार, आर्थिक कुप्रबंधन और राजनीतिक अस्थिरता ने वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था को डूबा दिया।
सरकार ने बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए बड़े मूल्य वाले नोट छापने का फैसला किया, लेकिन इससे स्थिति और बिगड़ गई।
धीरे-धीरे देश की करेंसी 10 बोलिवर से लाखों के नोटों में पहुंच गई। आम नागरिकों को छोटी खरीदारी के लिए भी थैलों में भरकर नोट ले जाने पड़ते हैं।
अर्थशास्त्री इसे “कागजी मुद्रा के पूर्ण अवमूल्यन” की स्थिति बताते हैं, जहां नोट की कीमत महज कागज के बराबर रह जाती है।
भारत में सबसे बड़ा नोट ₹10,000 था
भारत में वर्तमान में सबसे बड़ा चलन वाला नोट ₹500 का है। हालांकि, 2016 में जारी किया गया ₹2000 का नोट 2023 में वापस ले लिया गया।
इतिहास में भारतीय रिज़र्व बैंक ने ₹10,000 का नोट भी जारी किया था पहली बार 1938 में और दूसरी बार 1954 में।
इस नोट को 1946 और 1978 में दो बार डिमोनेटाइज किया गया। आज यह केवल कलेक्शन पीस के रूप में मौजूद है।
पाकिस्तान में अब भी चल रहा ₹5000 का नोट
भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में सबसे बड़ा नोट ₹5000 पाकिस्तानी रुपये का है, जो 2005 में जारी किया गया था और अब भी चलन में है।
पाकिस्तान भी बढ़ती मुद्रास्फीति और आर्थिक संकट से जूझ रहा है, लेकिन उसने अब तक इससे बड़े मूल्य का नया नोट जारी नहीं किया है।